डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
जिन प्रदेशों में गठबन्धन राजनीति की गुंजाइश होती है, उसमें प्रायः विकल्प का अभाव नहीं रहता। एक पार्टी गठबन्धन से अलग होती है, तो दूसरे विकल्प सामने आ जाता है। आंध्रप्रदेश में यह चरितार्थ हो सकता है। तेलगु देशम पार्टी राजग से अलग हुई, इसके तत्काल बाद वाईएसआर प्रमुख जगनमोहन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में बयान आ गया। इसके अलावा भाजपा ने पुरंदेश्वरी को भी चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ उतारने का निर्णय किया है। इस प्रकार आंध्र प्रदेश का चुनावी समीकरण दिलचस्प होने जा रहा है।
यहां राजनीति के समीकरण बदल रहे है। इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने की है। लेकिन इसे अंजाम तक ले जाने का कार्य उनकी पत्नी की बहन कर सकती है। रामाराव की विरासत को पहली बार इतनी सुनियोजित दावेदारी होने जा रही है। कुछ दिन पहले नायडू ने केंद्रीय मंत्री परिषद से अपने दोनों मंत्रियों को हटा लिया है। अब उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन से भी हट चुकी है। वह दबाब की राजनीति कर रहे है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख से जाहिर है कि वह दबाब के सामने नहीं झुकेंगे। भाजपा का आंध्रप्रदेश में पहले की अपेक्षा विस्तार हुआ है। इस बार चुनावी संघर्ष दिलचस्प होगा।
तेलगु देशम की स्थापना ऐन टी रामराव ने की थी। उनकी राजनीतिक विरासत पर दामाद चंद्रबाबू नायडू काबिज हुए। लेकिन इस बार रामाराव की पुत्री पुरंदेश्वरी भाजपा की ओर से चंद्रबाबू नायडू को सीधी चुनौती देंगी।
टीएसआर प्रमुख जगनमोहन जानते है कि भाजपा आंध्र में तीसरी सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरी है। तेलगुदेशम के हटने के बाद भाजपा और वाईएसआर में समझौता हो सकता है। कयास यह भी है कि इस बार आंध्र में भाजपा और जगनमोहन मिल कर सरकार बना सकते है।