अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव:
रामकथा और रामलीला केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। विश्व के करीब पचास देशों में व्यापक पैमाने पर रामलीला का आयोजन होता है। इंडोनेशिया मुस्लिम देश है, फिर भी यहां रामलीला बहुत लोकप्रिय है। यहां के लोग स्वीकार करते है कि श्री राम उनके पूर्वज है। यह बात अलग है कि उनकी उपासना पद्धति अलग है। गत वर्ष अयोध्या में भव्य दीपावली मनाई गई थी, उसमें कोरिया की महारानी मुख्यातिथि के रूप में शामिल हुई थी। उनका कहना था कि वह भी श्री राम की वंशज हैं।
ब्रिटिश राज्य में गिरमिटिया मजदूर बनकर गरीब भारतीय मॉरीशस, त्रिनिदाद, फिजी आदि अनेक देशों में गए थे। ये अपने साथ रामचरित मानस की प्रति लेकर गए थे। सदियों बाद भी ये अपने को श्रीराम का वंशज बताने में गर्व का अनुभव करते है। यहां भी रामलीला बहुत लोकप्रिय है। यहां कई स्थानों में मंच की जगह मैदान में रामलीला होती है। बड़ी संख्या में दर्शक उसका अवलोकन करते है। रामनगर की रामलीला विश्व प्रसिद्ध है। यहां आज भी बिना माइक के मशाल की रोशनी में रामलीला होती है।
कम्बोडिया में रामलीला मंचन का अलग रूप है। लखनऊ में अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इसमें रामायण के विशेषकर लव कुश प्रसंग का चित्रण नृत्य नाटिका के माध्यम से किया गया। अन्तर्राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के अन्तर्गत फिजी की प्रस्तुति में दिखाया गया। फिजी में भारतीय मूल के लोग बहुमत में है। तब उन्होंने सुनिश्चित किया कि उनकी समृद्धशाली भारतीय संस्कृति, धार्मिक विरासत, पारम्परिक लोकसंगीत, लोकगीत, महाकाव्यों में रामायण और भगवत्गीता, जो कि हमारी सबसे कीमती धरोहर है, को वह अपने साथ लेकर गए। यह धरोहर और विरासत आज भी फिजी में पीढ़ी दर पीढ़ी सुरक्षित है। इसके बाद फिजी के कलाकारों द्वारा रामायण के विभिन्न प्रसंगों को बहुत ही मार्मिक तरीकों से प्रस्तुत किया गया।
इस उत्सव में रामायण से सम्बन्धित प्रदर्शनियां भी आयोजित की गयीं, जिसमें राम संस्कृति की विश्व यात्रा की प्रदर्शनी, रामलीलाओं के मुकुट मुखौटे, वेशभूषा अस्त्र-शस्त्र की प्रदर्शनी, दिव्यांग बच्चों द्वारा रामकथाओं पर आधारित चित्रकला प्रदर्शनी, विदेशी रचनाकारों के पोट्रेट की प्रदर्शनी तथा उर्दू फारसी ग्रन्थों में रामकथा का चित्रण है। इसके अलावा रामायण मसीही, रामायण ‘खुश्तर’ ग्रन्थ, रामायण यक काफिया एवं मुकम्मल रामायण आदि विषयक प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया। लखनऊ में पहली बार अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें थाईलैण्ड, श्रीलंका, बांग्लादेश, माॅरिशस, कम्बोडिया, फिजी और त्रिनिदाद एवं टोबैगो देशों की रामलीला प्रस्तुतियां आयोजित की गई।
– डॉ दिलीप अग्निहोत्री