ग़ज़ल के चंद शेर –
ली पड़ोसी की जान बेमतलब,
तेरी ‘ गीता – कुरान ‘ बेमतलब
बोलना था तो खो गई भीतर,
हाथ भर की ज़ुबान बेमतलब ।
हौसला हो तो निशाना साधो,
वरना तीर -ओ- कमान बेमतलब ।
एक इंसां न कर सका पैदा,
तो बड़ा ख़ानदान बेमतलब ।
टूट जाये ज़मीन से रिश्ता,
ऐसी ऊंची उड़ान बेमतलब।
- चन्द्रमणि त्रिपाठी
टूटने का मतलब हमेशा ख़त्म होना ही नहीं होता…
कभी-कभी टूटने से ज़िंदगी की शुरुआत भी होती है.