साहित्य राष्ट्र से बढ़कर मगर रोटी न होगी By - June 27, 2018 0 751 बात कड़वी हो भले, खोटी न होगी । नत हिमालय की कभी चोटी न होगी । भूख माना, ज़िन्दगी का सत्य कड़वा , राष्ट्र से बढ़कर मगर रोटी न होगी। –भावुक, आस्था की फ़सल से