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    मुआवजा कानून पर ऑनलाइन सर्वे : उपभोक्ता बोलें 1912 पर बिना शिकायत दूर किये कर दिया जाता है निस्तारण

    ShagunBy ShagunDecember 23, 2023Updated:December 23, 2023 इंडिया No Comments6 Mins Read
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    उपभोक्ता परिषद ने कहा बिजली कंपनियों के पास हमारे सभी करोड विद्युत उपभोक्ताओं की है केवाईसी और मोबाइल नंबर सही मायने में मुआवजा कानून होगा तभी लागू जब ओटीपी सिस्टम से शिकायतों का निस्तारण और मुआवजा कों लागू करने के लिए थर्ड पार्टी हो व्यवस्था यही प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं की है मांग

    लखनऊ, 23 दिसम्बर: राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (24 दिसंबर) की पूर्व संध्या पर आज उपभोक्ता परिषद ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन वेबीनार, ट्विटर, फेसबुक पर विद्युत उपभोक्ताओं से सुबह 11.30 से शाम 5.30 बजे तक राय सुमारी की। जिसमें प्रदेश में लागू मुआवजा कानून की धरातल पर सच्चाई को जानने के लिए वोटिंग कराई जिसमें यह जानने की कोशिश की गई कि बिजली कंपनियों के टोल फ्री नंबर 1912 पर शिकायतों का निस्तारण बिना शिकायत दूर हुए एसएमएस अलर्ट भेज कर की जाती है? अथवा शिकायत दूर होने पर एसएमएस अलर्ट भेज कर की जाती है ?

    जिस पर 85 प्रतिशत विद्युत उपभोक्ताओं ने वोटिंग के माध्यम से अपना विरोध दर्ज कराया और कहा 1912 पर शिकायतों का बिना निस्तारण किया ही निस्तारण हेतु एसएमएस भेजा जाता है और केवल लगभग 15 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने ही निस्तारण के बाद एसएमएस भेजने की बात को स्वीकार किया जो गंभीर मामला है उन्होंने कहा कि जब फर्जी तरीके से विद्युत उपभोक्ताओं की शिकायतों का निस्तारण किया जाएगा तो फिर उन्हें मुआवजा कैसे मिलेगा ? मुआवजा तो तय समय में शिकायतों का निस्तारण न करने पर मिलता है यहां शिकायतें ही फर्जी तरीके से निर्धारित हो रही है जो बहुत ही गंभीर मामला है।

    इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा बडे दुर्भाग्य की बात है कि पिछले तीन वर्ष पहले स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस रेगुलेशन 2019 विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाया गया मुआवजा कानून कहने को तो बिजली कंपनियों की तरफ से एक साल पहले लागू किया जा चुका है लेकिन अभी तक धरातल पर किसी भी एक विद्युत उपभोक्ता को मुआवजा नहीं मिला प्रदेश में 3 करोड 30 लाख विद्युत उपभोक्ता है, सभी को पता है कि चाहे वह केबल फॉल्ट का मामला हो ट्रांसफार्मर जलने का मामला हो फ्यूज उडने का मामला हो तार टूटने का मामला हो बिजली व्यवधान का मामला हो अनेकों जनपदों में तय समय सीमा में उनका निस्तारण नहीं होता इसके बावजूद भी आज तक किसी विद्युत उपभोक्ता को मुआवजा न मिलना अपने आप में गंभीर मामला है।

    उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों को इस पर गंभीरता से विचार करते हुए करोडों विद्युत उपभोक्ताओं से केवाईसी के माध्यम से जो मोबाइल नंबर बिजली कंपनियों ने लिया है उस पर ओ0टी0पी पद्धति से शिकायतों का निस्तारण हेतु ऑनलाइन थर्ड पार्टी व्यवस्था बनाई जाए तभी सही मायने में मुआवजा कानून सफल हो पाएगा।

    परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विद्युत वितरण संहिता में दिए गए प्रावधान अनुसार विद्युत उपभोक्ताओं की प्रत्येक समस्या को तय समय में निपटारा किया जाना होता है यदि तय समय में निपटारा नहीं किया जाएगा तो प्रदेश की बिजली कंपनियों को कानूनन उपभोक्ताओं को ऑनलाइन उनके विद्युत बिल में मुआवजा देना होगा। विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याओं जैसे ब्रेक डाउन, केबिल फाल्ट, ट्रांसफार्मर, नया कनेक्शन, मीटर रीडिंग, लोड घटना बढ़ाना व अन्य मामले जिनके लिये नये कानून में एक नियत समय तय है।

    उपभोक्ता समस्या                                                                         दोष के मामले में मुआवजा
    अण्डरग्राउन्ड केबिल ब्रकडाउन                                                          रू0 100 प्रतिदिन
    स्ब-स्टेशन का निर्माण बाधित होने की स्थिति में वोल्टेज विचलन          रू0 250 प्रतिदिन
    नया कनेक्शन वितरण मेन्स उपलब्धता पर                                         रू0 50 प्रतिदिन
    मीटर रीडिंग के मामले                                                                      रू0 200 प्रतिदिन
    डिफेक्टिव मीटर / सामान्य फ्यूज आफ                                               रू0 50 प्रतिदिन
    बिलिंग शिकायत/भार में कमी/आधिक्य                                              रू0 50 प्रतिदिन
    श्रेणी परिवर्ततन                                                                               रू0 50 प्रतिदिन
    ट्रांसफार्मर फेल ग्रामीण                                                                      रू0 150 प्रतिदिन
    अस्थायी कनेक्शन का निर्गमन                                                          रू0 100 प्रतिदिन
    विद्युत आपूर्ति बढाने हेतु सबस्टेशन की स्थापना                                    रू0 500 प्रतिदिन
    काल सेन्टर द्वारा रिस्पान्स न दिया जाना                                              रू0 50 प्रतिदिन
    फर्जी अवशेषों को आगे ले जाना                                                           रू0 100 प्रति चक्र
    नया कनेक्शन/अतिरिक्त भार जहॉं आपूर्ति नेटवर्क विस्तार                      रू0 250 प्रति दिन
    ओवरहेड लाइन/केबिल ब्रेकडाउन                                                        रू0 100 प्रति दिन
    उपभोक्ता विनियम के अनुसार मासिक आधार पर घोषित आपूर्ति प्रथम श्रेणी शहर रू0 20 प्रति किलोवाट
    शहरी रू0 20 प्रति किलोवाट ग्रामीण रू0 10 प्रतिकिलोवाट
    सेवा क्षेत्र देय मुआवजा प्रति बिल चक्र के अनुसार

    उपभोक्ताओं को अधिकतम 60 दिन में मुआवजा मिल जायेगा। आयोग द्वारा जारी कानून में उपभोक्ता को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज/डिमाण्ड चार्ज के 30 प्रतिशत से अधिक का मुआवजा नहीं दिया जायेगा। उदाहरण के तौर पर जैसे 1 किलोवाट का उपभोक्ता यदि महीने में रू0 100 प्रतिकिलोवाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज रू0 1200 हुआ तो उसे अधिकतम एक वित्तीय वर्ष में रू0 360 का मुआवजा ही मिलेगा।

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