चुनाव का दौर शुरू हो गया है सारी राजनीतिक पार्टियों ने अपना दमखम दिखाना शुरू कर दिया है उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में अगले साल विधानसभाओं के चुनाव होने हैं। इनके लिए हलचल भी धीरे-धीरे तेज होने लगी है। यूपी में तो नेताओं के दौरे तेज हो गए हैं। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यहां आना जाना बढ़ गया है। तमाम परियोजनाओं के शिलान्यास व उद्घाटन के लिए उनके दौरे यूपी में बढ़ गए हैं। इसके अलावा भाजपा के अध्यक्ष तथा अन्य नेतागण भी उत्तर प्रदेश में जा रहे हैं।
कांग्रेस की महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी भी उत्तर प्रदेश के दौरे कर रही हैं। वह मृतप्राय कांग्रेस में नई जान फूंकने की कोशिश कर रही हैं और इसका नतीजा भी सामने आ रहा है। उधर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी राज्य के तूफानी दौरे कर रहे हैं और उनको भी जनता का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। उत्तर प्रदेश की स्थिति कई मायनों में जटिल कही जा सकती है। वैसे तो इस प्रदेश में विकास की बातें की जाती हैं लेकिन सच तो यह है कि यहां का राजनीतिक गणित जाति और धर्म पर मुख्यतः आधारित है। कोई भी चुनाव हो, ये समीकरण काफी हद तक काम करते हैं।
पश्चिमी यूपी में यह बात खासतौर पर नजर आती है। हालांकि किसान आंदोलन के चलते वहां की स्थिति में फिलहाल कुछ बदलाव आया है और लोग मुद्दों की बात कर रहे हैं। किसान आंदोलन ने किसानों के मद्दों का उठाया है और तीनों कानूनों की वापसी के पहले तक सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ अच्छा माहौल भी बन चुका था। अब देखना यह है कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों की मांगें मान लिये जाने की घोषणा करने के बाद स्थिति में किस तरह का बदलाव आता है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में जाति प्रमुख रूप से निर्णायक फैक्टर है जो इस बार भी अहम भूमिका निभाएगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सपा और भाजपा वहां की क्षेत्रीय पार्टियों से चुनावी गठबंधन पर ज्यादा जोर दे रही हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में स्थिति रोचक है और देखने की बात यह है कि चुनाव तक यह क्या मोड़ लेती है।