अजीत कुमार सिंह
का… बा… वाली नेहा सिंह राठौर जब शुरू शुरू में सोशल मीडिया पर अवतरित हुई तो एक लोकगायिका के रूप में इन्होंने सोशल मीडिया पर एक जायज विरोध दर्ज करना चालू किया वो था भोजपुरिया गीत संगीत की फूहड़ता और दो-अर्थी गानों का चलचित्र मय जो गीत पब्लिक डोमेन में आता उन सभी फ़ूहड़ गानों के मिलियंस में फालोवर वो फालोवर कंहा के यही उत्तर भारत के खासकर उत्तर प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार और झारखंड मोटा मोटी मिथिलांचल पूर्वांचल या कहें हिंदी भाषी क्षेत्रों के वो विरोध जायज था जिसका संज्ञान नहीं लिया गया और वो गाने कोई छोटे मोटे कलाकारो से नहीं आये उसमें तीन तो सांसद हैं जो इसी इलाके से आते हैं।

वो फूहड़ता जब धीरे धीरे घुलती गई तो एक अंतहीन नशे की दरकार बढ़ती गयी जिसके चपेट में पूरी पीढी आती गयी, अभी हाल में बलिया के बबुआन साहब पगलाये तो ऐसा की पूरा गाना हू ब हू अपने किरदार में उतार दिये और नतीजन ऐसा हुआ एक बड़ी पार्टी को उनको अपने दल से बाहर करना पड़ा….
छोटे छोटे बच्चे जिनके दूध के दांत भी नहीं गिरे वो अश्लील गानों पर मादक नृत्य कर रहे हैंऔर घर वाले मगन है कि लाईक कमेंट और शेयर बढेगा तो चैनल मोनोटाईज होगा कमाई होगा हालांकि ऐसी कमाई वेश्यावृत्ति के लगभग समरूप है अगर समाज में छिछोरा पन परोस कर आपको कुछ हासिल हो रहा है और पूरा समाज उससे दूषित हो रहा है तो इस पर कुछ तो जवाब देही हो भोजपुरी गानों के तड़कते भड़कते म्युजिक के शोर गुल में आप उनकी लिरिक्स नहीं पकड़ पाते अगर ठंडे दिमाग से उनके लिरिक्स को आप लिख कर उसको अक्षरशः समझने की कोशिश करें तो आपका दिमाग भन्ना जाएगा कि ऐसा भाषाई छिछोरा पन बनताडू टाइट तो होई जईबू ढीला ।। परखंड हो या जिला बबुआने से हिला ।। इसी ढीला टाईट करने में वो बलिया वाले बबुआन साहब उलझ गये अंगूर लागेलू किसमिस लागेलू।।। चोली.. घांघरा ..रिमोट ..छलकतो हमरो जवनिया।। इत्यादि इत्यादि… कलम कार की कलम नायिका की शारीरिक बनावट और उसके चोली घांघरा और जवानी से इतर जाती ही नहीं भाई चौपट मत करिये ये आंचल सोहर विवाह गीत विरह गीतों की खदान था श्री सूरज बड़जात्या ने जितनी फिल्म बनाई उसमें एक गीत स्व शारदा सिन्हा का जरूर होता था।
कहे तोहसे सजना
ये तोहरी सजनिया
पग-पग लिये जाऊँ
तोहरी बलइयाँ …
ऐसे गाने इसी अंचल से गाये गये कहीं और वो मर्म मिलेगा ही नहीं कहा खो गया ये सब
ये कालजई सोहर गीत …
जुग जुग जियसु ललनवा,
भवनवां के भाग्य जागल हो,
ललना लाल होई हैं,
कुलवा के दीपक,
मनवा में आस लागल हो॥
यंही से निकला ये गीत इससे बेहतरीन गीत किसी नवजात की पैदाइश की खुशी में कंही और बन सकता हो तो बताइये सब कुछ खत्म करके सारा गंध फैला दिया सब कुछ उठा के पटक दिया पूरे गीत संगीत को टिका दिया लंहगा चोली छलकती जवानी चोली और हुक पर और साथ साथ इन पर थिरकने वाली हीरोइनो का पहनावा देखिये बालीवुड पानी मांग जाय! और उपर से तुर्रा ये कि हम संस्कृति के बड़के रक्षक है सब सत्यानाश कर रहे हो लौट सको तो लौटो वंही ज़हां से चले थे नेहा सिंह राठौर का विरोध बहुत जायज था उस लड़की ने इन सबका पुरजोर विरोध किया था पर राजनैतिक लंबरदारों के आगे नहीं टिक पाई नग्नता अश्लीलता फूहड़ता की एक सीमा हो मानक हो सेंसरशिप हो….
आत्मनिरीक्षण को अपनी दिनचर्या का अंग बनायें और लोगों के कल्याण के लिये आगे आयें विरोधी स्थितियों में अथवा विभिन्न विचारों में सामंजस्य बनायें सांसारिक विष यानी दुख कठिनाइयों और दूसरों के प्रपंच को गले से नीचे न उतरने दें अहंकार और हिंसा दोनों को दबा कर रखें मन को निर्मल करके विवेक को जागृत रखें यानी हमेशा शुभ बातें सोचें दूसरों के दुर्गुण रूपी विष को सोखकर सबके कल्याण की भावना रखते हुए ठंडे दिमाग से समाज और परिवार में सामंजस्य बनाए रखने का प्रयास करें कितनी भी हिंसक परिस्थिति हो पर धर्म न छोड़ें कैसी भी परिस्थिति हो सफलता चाहिए तो सबमें सामंजस्य बनाकर रखना चाहिए शिवजी का जीवन यही संदेश देता है।
सत्कर्मों द्वारा व्यक्तित्व को निखारा जा सकता है हमारे सामने भगवान शिव का उदाहरण है या तो वे समाधि में यानि आत्मचिंतन की मुद्रा में दिखते हैं या फिर समाधि के बाहर जन-कल्याणकारी कार्यों में हमारे जीवन का भाव भी यही होना चाहिए हम आत्मनिरीक्षण को अपनी दिनचर्या का अंग बनाएं और लोगों के कल्याण के लिये आगे आयें शिवजी का वाहन नंदी जो वृषभ है वह धर्म का प्रतीक हैं वहीं भगवती पार्वती का वाहन शेर शक्ति का प्रतीक है अर्थात् कितनी भी हिंसक परिस्थिति हो पर धर्म न छोड़ें शिव के कंठ में सर्पमाला तो कार्तिकेय का वाहन मयूर मयूर सर्प का दुश्मन है तो गणेश के वाहन चूहे का दुश्मन सर्प है सब विपरीत स्वभाव के हैं लेकिन शिव सामंजस्य बनाये रखते हैं जो व्यक्ति विरोधी स्थितियों अथवा विभिन्न विचारों में सामंजस्य बना लेता है, उसका ही जीवन सफल है यही गुण परिवार को भी सफल बनाता है, समाज को और देश को भी शिवजी ने हलाहल कंठ में रख लिया गले के नीचे नहीं उतरने दिया सांसारिक विष यानी दुख-कठिनाइयों और दूसरों के प्रपंच को गले से नीचे नहीं उतारना चाहिए कठिनाइयों का भान हो तो उन्हें बहुत महत्व नहीं देना चाहिए शिव की देह पर व्याघ्र चर्म को धारण करने की कल्पना की गई है व्याघ्र अहंकार और हिंसा का प्रतीक है अत: शिवजी ने अहंकार और हिंसा दोनों को दबा रखा है अहंकार और हिंसा दोनों को दबा कर रखें शिवजी के मस्तक पर चंद्रमा इस बात का प्रतीक है कि अपने मन को निर्मल ,सशक्त और मस्तिष्क को उग्रता से बचाने के लिये ठण्डा यानी शान्त रखें मन को निर्मल करके विवेक को जागृत रखें यानी हमेशा शुभ बातें सोचें जटाओं से निकली माता गंगा की तरह शक्ति सामर्थ्य और कल्याण की भावना रखें अर्थात् सर्वसमर्थवान वह है जो स्वयं पर नियंत्रण रखे और माता गंगा की तरह दूसरों के दुर्गुण रूपी विष को सोखकर सबके कल्याण की भावना रखते हुए ठंडे दिमाग से समाज और परिवार में सामंजस्य बनाये रखने का प्रयास करें।







