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    अब मेक फॉर वर्ल्ड

    ShagunBy ShagunDecember 31, 2021 इंडिया No Comments4 Mins Read
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    डॉ दिलीप अग्निहोत्री

    आत्मनिर्भर भारत अभियान में रक्षा क्षेत्र को भी शामिल किया गया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने इस दिशा में कार्ययोजना बनाई थी। इसमें भारत को सामरिक रूप से मजबूत बनाने का विचार था।जिससे सीमा पार की चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके। इसके अलावा भारत को हथियारों के निर्यातक के रूप विकसित करने की योजना शामिल थी। इस दिशा में विगत सात वर्षों के दौरान उनके उल्लेखनीय कदम उठाए गए। विदेशों से लंबित रक्षा डील को अंजाम तक पहुंचाया गया। ये समझौते दशकों से लंबित थे। यूपीए सरकार के दौरान ही रक्षा विशेषज्ञों ने इनको अपरिहार्य बताया था। किंतु यूपीए सरकार ऐसा करने में नाकाम रही। नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दायित्व का निर्वाह किया। रक्षा डील पूरी करने के साथ ही देश में रक्षा उत्पाद को बढ़ावा देने का कार्य किया गया।

    इस क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में रक्षा प्रौद्योगिकी एवं परीक्षण केंद्र और ब्रह्मोस विनिर्माण केन्द्र का शिलान्यास किया। यहां ब्रह्मोस मिसाइल के नेक्स्ट जनरेशन का निर्माण किया जाएगा। ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण के संबंध में भारत और रूस के बीच समझौता है। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह केंद्र सुरक्षा के मामले में देश को आगे ले जाएगा। रक्षा उत्पादों में अग्रणी भी बनाएगा। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी इससे मजबूती मिलेगी। योगी आदित्यनाथ ने मात्र डेढ़ महीने में इस परियोजना हेतु जमीन उपलब्ध करा दी थी। देश अपनी सामरिक शक्ति बढा रहा है। भारत अपनी सीमाओं में ही नहीं बल्कि दुश्मन देशों के घर में भी घुसकर सबक सिखाने की क्षमता रखता है।

    नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद परिस्थितियां बदली हैं। भारत रक्षा उपकरण आयात करने वाला देश था। बनाने के लिए सामान मंगवाते थे। नरेंद्र मोदी ने निर्णय लिया कि भारत को रक्षा उपकरणों का निर्यातक बनाया जाएगा। भारत दूसरे देशों को हथियार आयात नहीं बल्कि निर्यात करने वाला देश बनेगा। इन प्रयासों से भारत करीब सत्तर देशों को रक्षा उत्पाद के निर्यात करने लगा है। नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया अभियान शुरू किया था। फिर मेक फॉर इंडिया और अब मेक फॉर वर्ल्ड पर कार्य चल रहा हैं।

    रूसी राष्ट्रपति कुछ दिनों पूर्व भारत के दौरे पर आए थे। अब ब्रह्मोस मिसाइल यहां बनाई जाएगी। भारत की नदी ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नामों के आधार पर ब्रह्मोस नामकरण दिया गया। योगी अदित्यनाथ ने रक्षा कारिडोर की घोषणा के समय निवेश के लक्ष्य को प्राप्त करने का विश्वास व्यक्त किया था। यह मंसूबा साकार हो रहा है। ब्रह्मोस की नेक्स्ट जेनरेशन का निर्माण होगा। चौदह सौ करोड़ रुपये का निवेश हो रहा है।

    योगी अदित्यनाथ ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के क्रम में भी बड़ा कदम है। कोरोना कालखंड में हुए रक्षा उत्पादों को लेकर हुए एमओयू पर काम चल रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण के साथ ही अनेक प्रकार के अनुसंधान होंगे। उपकरण बनाये जाएंगे। लगभग इसी समय भारतीय वायुसेना ने तेजस मार्क वन ए के फाइटर जेट के एलसीए तेजस मार्क टू के डिजाइन को भी मंजूरी दी है। आगामी वर्ष तक स्वदेशी बहुद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस मार्क टू का प्रोटोटाइप आने की संभावना है। एचएएल ने एयरो इंडिया में भी इसका मॉडल और डिजाइन पेश किया था।

    इस युद्धक विमान के तेज रफ्तार संबंधी ट्रायल एक डेढ़ वर्ष में शुरू हो जाएगा। इसका उत्पादन करीब तीन के आसपास तक शुरू हो जाएगा। यह पहले के सभी संस्करणों का आधुनिक रूप होगा। जिसमें ज्यादा शक्तिशाली इंजन,ज्यादा फ्यूल क्षमता,नेक्स्ट जेनरेशन की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और कई खास एविएशन सिस्टम होंगे। मजबूत इंजन क्षमता और आधुनिक युद्ध प्रणालियों से लैस होगा। एक दिन पहले केंद्र सरकार ने ढाई हजार आइटम का विदेशों से आयात करने पर रोक लगा दी। रक्षा मंत्रालय ने इसे तीसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची का नाम दिया है। अधिसूचित सूची में वह ढाई हजार आयातित आइटम शामिल किये गए हैं, जो पहले ही स्वदेशी हो चुके हैं। इसके अलावा करीब साढ़े तीन सौ आयातित आइटम हैं। इन्हें अगले तीन वर्षों में स्वदेशी बनाया जाएगा। सरकार की यह पहल हर साल लगभग तीन हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचाएगी।

    राफेल लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना में शामिल हो चुके है। रूस के साथ पांच एयर डिफेंस सिस्टम एस फोर हंड्रेड खरीदने के लिए पैतीस हजार करोड़ रूपए में सौदा किया था। भारतीय वायुसेना को पांच स्क्वाड्रान मिल रहे है। जिसमें आठ लॉन्चर हैं और हर लॉन्चर में दो मिसाइले लगी हैं। जमीन से हवा में मार करने वाली इस प्रणाली के मिलने से भारत की मारक क्षमता और मजबूत होगी।

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