हाल ही में पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सीमाक्षेत्र गांव में एक अजीब घटना सुनने को मिली है। अधिकारियों का मानना है कि यहां के स्थानीय लोग जंगल में अपने घर के बुजुर्गों को बाघों का शिकार करने के लिए भेजते हैं।
सूत्रों के अनुसार आसपास के गांव के लोग अपने घर के बुजुर्गों को बाघों के शिकार के लिए भेजते हैं अगर इस दौरान उन्हें कोई चोट या फिर मौत हो जाती है तो सरकार से मुआवजे में लाखों रुपये की मांग करते हैं। इस मामले के बाद हाल ही में बुजर्गो पर घातक बाघों के हमले की एक जांच हुई है। इस जांच में16 फरवरी को 7 लोगों की मौत के मामले जंगल के पास से दर्ज की गई है।
क्रेंद्रीय सरकार एंजेसी की तरफ से कालिम अथर (वाइल्ड क्राइम कन्ट्रोल ब्यूरो) WCCB इस मामले की जांच कर रहें हैं। उन्होंने वहां बाघों के हमले के साथ-साथ रह रहे आसपास के लोगों की भी जांच की। अथर ने बताया कि इस मामले को प्रोरेफशनल के साथ पर्सनल लेवल पर भी जांच किया गया है। जिसकी रिपोर्ट मैंने WCCB को सौंप दी है। उन्होंने बताया कि ब्यूरों के अधिकारियों ने आगे की करावाई के लिए इस मामले को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को सौंपने का फैसला किया है।
वहीं स्थानीय लोग इस मामले में पूरी मदद करने के लिए तैयार हैं। 60 वर्षीय किसान जनरल सिंह ने बताया कि जंगल ही एकमात्र संसाधन पाने का जरिया है जिससे हम खुद को गरीबी से बचा सकते। बता दें 1 जुलाई को गांव वालों ने आरोप लगाया था कि अपने ही क्षेत्र में 55 वर्षीय महिला को एक बाघ ने मार दिया था।
इस मामले में सोमवार को जंगल के संरक्षक वी. के सिंह ने साइट का निरीक्षण किया जिसके बाद उन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया। उनका मानना है कि माहिला के कपड़े किसी और जगह मिले है साथ ही जंगल से 1.5km दूर उसकी डेड बॉडी पाई गई है।