कोई भी मौसम अपने सामान्य काल में चाहे जो समस्या पैदा करे पर अपने रुखसत होने के दौर में काफी खतरनाक हो जाता है। पिछले कुछ सालों से चल रहे ढर्रे के मुताबिक सितंबर का महीना खत्म होने के साथ मानसून अब धीरे-धीरे जाने को है। यह दौर तमाम बीमारियों को न्यौता दे देता है। इसीलिए इस वक्त अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है।
कुछ मौसमी बीमारियां तो बेहद घातक सिद्ध होती हैं जिनसे लोगों की जान तक चली जाती है। कमजोर इम्युनिटी वालों पर ये ज्यादा ही असर डालती हैं। बारिश से हुए जलभराव को काफी दिन बीत जाने से पानी अशुद्ध होने और सड़ने के कारण डेंगू के वाहक मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। इसीलिए उतरती बरसात में डेंगू का प्रकोप ज्यादा होता है। मच्छर ही चिकनगुनिया को वायरल करते हैं जो तेज बुखार, सिरदर्द, थकान और मांसपेशियों में दर्द की समस्या पैदा करता है और जिसका असर हफ्तों तक बना रह सकता है। मलेरिया और वायरल बुखार से भी बड़ी संख्या में लोग पीड़ित होते हैं। जुकाम, खांसी से तो नब्बे प्रतिशत से ज्यादा लोग परेशान रहते हैं।
कुछ दशकों पहले तक मौसम के अनुरूप रहने व एहतियात बरतने पर लोग ज्यादा ध्यान देते थे। अब वह सावधानी नहीं रह गई है। डाक्टर के पास इलाज करा लेने के इत्मीनान से खास कर फैशनपरस्त लोग अपने ही हिसाब से जीते हैं। इसलिए जरूरी है कि मौसम के हिसाब से रहने की सावधानी को जरा भी अनदेखा न किया जाए क्योंकि कई बीमारियां देखने में तो काफी सामान्य लगती हैं लेकिन उनका नतीजा बेहद गंभीर होता है।
हालांकि इस वक्त गर्मी के साथ जबर्दस्त उम भी पड़ रही है लेकिन मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दो-तीन दिनों में ही एक बार फिर जोरदार बारिश शुरू होगी। मौसम की इस उठापटक से संभल कर रहना बहुत जरूरी है।