प्रदेश की बिजली कंपनियों द्वारा विद्युत नियामक आयोग में दाखिल 18 से 23 प्रतिशत बिजली दरों में बढ़ोतरी प्रस्ताव पर जहां विज्ञापन जारी होने के बाद आयोग आदेशानुसार उपभोक्ताओं की आपत्तियां आमंत्रित की जा रही है वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आज विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आर पी सिंह से मुलाकात की और प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी के लिए उपभोक्ता परिषद की दाखिल याचिका पर कार्रवाई शुरू करने की मांग उठाई।
उन्होंने कहा कि कहा जब प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर सर प्लस लगभग 25133 करोड़ रुपया निकल रहा है ऐसे में बिजली दरों में बढोतरी पर सुनवाई किया जाना जनहित में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के खिलाफ है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से 1 मार्च को विद्युत नियामक आयोग में दाखिल लोक महत्व याचिका जिसके आधार पर उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे लगभग 25133 करोड सरप्लस रकम के एवज में बिजली दरों में बढोतरी प्रस्ताव को असंवैधानिक बताते हुए बिजली दरों में कमी की कार्यवाही शुरू करने की मांग उठाई थी ।
पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह ने उपभोक्ता परिषद द्वारा दाखिल लोक महत्व जनहित याचिका प्रस्ताव पर पावर कारपोरेशन के निदेशक कमर्शियल वा मुख्य अभियंता रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट से 7 दिन में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
जिसके बाद प्रदेश की बिजली कंपनियों की बिजली दरों में बढोतरी प्रस्ताव पर एक बार फिर उल्टी गिनती शुरू हो गई है क्योंकि अब उपभोक्ता परिषद जैसा चाहता था की वर्तमान सुनवाई में ही इस मुद्दे पर भी सुनवाई शुरू की जाए तो अब पूरा मामला एक साथ ही सुनवाई के लिए पटल पर आएगा उपभोक्ता परिषद ने इस बार अपनी याचिका में यह भी गंभीर सवाल उठाया है कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी को रोकने के लिए पावर कारपोरेशन का बार-बार यह कहना की कारपोरेशन की तरफ से माननीय अपटेल में मुकदमा दाखिल किया गया है इससे कार्यवाही नहीं रोकी जा सकती क्योंकि अभी तक मुकदमे में ना तो कोई स्टे आर्डर है और ना ही कोई अंतरिम आदेश ऐसे में अब समय आ गया है विद्युत नियामक आयोग को उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी करके हिसाब बराबर करना चाहिए ।