उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी में प्रादेशिक संस्कार व त्योहार गीत प्रतियोगिता
लखनऊ, 27 अक्टूबर 2020: प्रदेश की उर्वरा भूमि वाले इस प्रदेश में हर त्योहार, हर संस्कार के ढेरों गीत हैं। ऐसे ही सोहर, उलारा, बधाई, नकटा, द्वारचार, विदाई, झूला, कजरी, चैताल, होरी, दीवाली, छठ के संस्कार व त्योहार गीत आज अनेक प्रतिभागियों की क्लिपिंग्स से अकादमी स्टूडियो स्क्रीन में गूँज उठे।
प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के अभियान के तहत यहां उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर से प्रादेशिक स्तर की संस्कार व त्योहार गीतों की प्रतियोगिता की प्रविष्टियों का आंकलन निर्णायकोें की उपस्थिति में किया गया।
इन प्रतियोगिताओं की कुल 30 प्रविष्टियों मे सात पुरुष प्रतिभागी भी उत्साहपूर्वक शामिल हुए। प्रतिभागियों में चैताल- घनश्याम आज सज धज के होरी खेलन….. के संग बाजत अवध बधैया…., अवध मां रामजी जनम लिन्हों रामा…. जैसे गीत गाने वाली लखनऊ की शिखा भदौरिया प्रथम़; अंगना वेदिया बंधाइल… रसिया न माने नैनो में डारे अबीर…. सात फेरा हो सातों जनम के….जैसे लोक गीत गाने वाली वाराणसी की नीतू तिवारी दूसरे और मइया के भवन…., चलो गुइंया आज खेलें होरी…. व मोरे अंगना में छाई बहार…. इत्यादि गीत गाने वाली कानुपर कविता सिंह तीसरे स्थान के लिए चुनी गईं। प्रतियोगिताओं के तीसरे व अंतिम दिन कल संस्कार व त्योहार गीतों के संकलन का आकलन निर्णायकगण करेंगे।
प्रतियोगिता में जौनपुर की डा.ज्योति सिन्हा ने बहुत दुर्लभ पारम्परिक गीतों का चयन किया था तो अयोध्या की अवध की निधि संस्था ने युगल रूप में चैता, होरी व सोहर आदि गीतों को प्रस्तुत किया। लखनऊ की रत्ना शुक्ला ने दीवाली, होली, सोहर व सुहाग गीत प्रस्तुत किये। लखनऊ की नीलम श्रीवास्तव, डा.ऋतुपर्णा बर्मन गुप्ता, माधुरी वर्मा, अंजलि खन्ना, प्रीति लाल व नीरा मिश्रा के संग ही मथुरा की निशा पाठक, कासगंज की श्रुति शर्मा, आगरा की ओमवती शर्मा, अयोध्या की संगीता आहूजा और रंजना शर्मा, पिंकी सिंह ने प्रतिभागिता की। पुरुष प्रतिभागियों में प्रयागराज के राहुल जैसवार, मथुरा के गजेन्द्र सिंह चैहान, मीरजापुर के शिवलाल गुप्ता, वाराणसी के सतीशचन्द्र यादव के संग शरद तिवारी, थे। धनन्जय कुशवाहा व अखण्ड प्रताप सिंह शामिल थे।
निर्णायकों का स्वागत करते हुए अकादमी के सचिव तरुण राज ने बताया कि आज की प्रतियोगिताओं का सकारात्मक पक्ष यह रहा कि इनमे पुरुष प्रतिभागियों का उत्साह भी देखने को मिला। प्रतियोगिता प्रभारी अकादमी की संगीत सर्वेक्षक रेनू श्रीवास्तव ने बताया कि कल अंतिम दिन संस्कार व त्योहार गीतों के संकलन की प्रतियोगिता होगी। इसमें लगभग 15 संकलन प्राप्त हुए हैं।
निर्णायकों में शामिल पद्मश्री डा.योगेश प्रवीन, सुविख्यात संगीतकार केवलकुमार व लोकविद् डा.विद्याविंदु सिंह ने पारम्परिक रचना, पारम्परिक धुन, स्वर, लय, उच्चारण, चयन व प्रस्तुतीकरण इत्यादि के आधार पर फैसला किया।