यूपी के पंचायत चुनाव के परिणाम सामने हैं बता दें कि उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनावों को लेकर भले ही आलोचना की जा रही हो लेकिन सच तो यह इसके साथ दुनिया की सबसे बड़ी निर्वाचन प्रक्रिया पूरी हुई। इसमें आठ लाख से अधिक पदों के लिए तेरह लाख उम्मीदवार मैदान में थे। बारह लाख से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों तथा चार लाख से अधिक सुरक्षाकर्मियों ने इस चुनाव को शांतिपूर्वक संपन्न कराने का काम किया। कोविड-19 से उत्पन्न विषम परिस्थितियों में पंचायत के सामान्य निर्वाचन को पूरा करने की संवैधानिक आवश्यकता को पूरा किया गया है।
यह सही है कि कोविड-19 के कारण परिस्थितियां काफी जटिल थीं तथा इनमें यह बात सवालों में घिरी थी कि क्या पंचायत चुनाव सरलता के साथ पूरे हो पाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस मामले में समझदारी से काम लिया और सभी पक्षों पर सतर्क नजर बनाए रखी। कुछ जगहों पर हालांकि कोरोना प्रोटोकाल का पालन नहीं हुआ लेकिन उसकी ज्यादा जिम्मेदारी उन आम लोगों की थी जो चुनाव में भाग लेने के लिए बिना मास्क पहने निकल आते थे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं करते थे। ये चुनाव इसलिए भी आवश्यक थे कि इनसे ही गांवों और कस्बों में त्रिस्तरीय पंचायतों के माध्यमों से विकास कार्य होने हैं तथा उन्हीं के आधार आगे का खाका तैयार होना है।
यही कारण है कि इन चुनावों में लोगों का उत्साह जमकर दिखाई दिया और उन्होंने बड़ी संख्या में अपनी प्रतिभागिता दर्ज की जिनमें महिलाओं का संख्या भी आधे के करीब थी। अब जबकि इन चुनावों के परिणाम आ चुके हैं तो ये बात सभी को सुनिश्चित करनी चाहिए कि आगे की प्रक्रिया भी इसी तरह पूरी हो तथा विकास कार्यों के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सभी लोग एक साथ मिलकर कदम उठाएं।