जी के चक्रवर्ती
हमारे देश में प्रति वर्ष 24 अप्रैल के दिन राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य कारण 73वां संविधान संशोधन अधिनियम है जिसे वर्ष 1992 में तैयार कर 24 अप्रैल वर्ष 1993 को लागू किया गया था। हालांकि हमारे देश में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पहली बार 2010 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह द्वारा घोषित किया गया था। इस दिन को प्रति वर्ष पंचायती राज मंत्रालय द्वारा चिह्नित किया जाता है।
राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस के अवसर पर देश के मौजूदा प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण में देश के लोगों को यह आगाह किया कि आज हमें कोरोना संक्रमण को देश के गांवों तक पहुंचने से रोकना होगा।
यह सही भी है कि पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण की लहर को गांवों तक नही पहुंची थी, लेकिन इस बार इसका खतरा अधिक मंडरा रहा है, क्योंकि एक तो संक्रमण की दूसरी लहर बहुत तेज है और दूसरी सबसे बड़ी बजह यह है कि शहरों से तमामों कामगार अपने- अपने गांव लौट चुके हैं या फिर लौट रहे हैं और ऐसे में इन्ही लोगों के माध्यम से ग्रामीण आबादी के मध्य कोरोना आसानी से फैल सकता है, इसलिए उन्हेंं गांवों से बाहर पंचायत भवनों या स्कूलों आदि में क्वारंटाइन करके गांवों में कोरोना को फैलने देने से रोकना पड़ेगा।
ग्रामीणों के स्वास्थ्य निगरानी की चिंता स्वमं गांव वालों को करनी पड़ेगी। वैसे तो आज देश के कई गांव इस मामले में अनुकरणीय उदाहरण पेश कर चुके है, लेकिन इसके बावजूद यह भी सत्य है कि आज देश के कुछ ग्रामीण इलाकों को कोरोना संक्रमण अपने गिरफ्त में ले सकते हैं। जबकि ग्रामीण इलाकों में आबादी के कम होने के कारण और वहां के रहन-सहन शहरों से अलग होने के कारण यदि हमारे देश के गांवों को भी कोरोना संक्रमण ने अपने गिरफ्त में ले लिया तो फिर हालात संभालने में बहुत मुश्किल होंगे।
आज हमारे देश को आजाद हुये सत्तर दशकों से भी अधिक के समय गुजर जाने के बाद भी देश के गांवों एवं उसके समीप कस्बों और छोटे-मोटे शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अच्छी नही होने के कारण बड़े शहरों के अस्पताल की ओर लोगों का रुख करना स्वाभाविक सी बात है। वैसे तो उचित यही होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रमीणों के अन्दर जगरुकता फैला कर कोरोना संक्रमण से बचे रहने के उपायों से उन्हें अवगत करा कर सख्ती से नियमो को पालन कराने के लिये और इसकी देख रेख करने वाले लोगों को सक्रिय करने की आवश्यकता है, जिसके लिए राज्य सरकारों के प्रशासनिक अमले को भी सजगता और सक्रियता दिखानी पड़ेगी।