डॉ दिलीप अग्निहोत्री
उत्तर प्रदेश को उत्तम बनाने के दावे तो दशकों से होते रहे है। लेकिन इसके अनुरूप माहौल बनाने का प्रयास नहीं किया गया। लेकिन बदलते दौर में सिर्फ पहली बार योगी आदित्यनाथ ने व्यवस्था में बदलाव किया। इसके बल पर वह विकास की लंबी लाइन खींचने में सफल रहे। केंद्र के साथ मिलकर योगी सरकार उत्तर प्रदेश को विकसित बनाने की दिशा में चल पड़ी है। यह कार्य यहां की राजनीति में भी बदलाव करेगा। योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद बदलाव आया। विकास का माहौल बना।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र की योजनाओं को प्राथमिकता से लागू किया। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने सर्वाधिक मकान बनवाने और गरीबों को देने का रिकार्ड बना दिया। शहरों के सुनियोजित विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। सपा सरकार में ग्यारह हजार आवास पैतीस हजार शौचालय सपा में बनाये गए। योगी सरकार ने डेढ़ वर्ष में पैतीस लाख शौचालय बनवा दिए गए। स्थानीय निकायों की आमदनी भी बढ़ी नगरीय आय अठारह से बढ़कर अठ्ठाइस प्रतिशत हो गई। जब विश्व में मानवीय सभ्यता का विकास नहीं हुआ था, तब भारत में सुनियोजित नगरीय व्यवस्था स्थापित हो गई थी। स्वतंत्रता के बाद देश में एक बार पुनः सुनियोजित नगरीय विकास की आवश्यकता थी। उस समय आबादी बहुत कम थी। खाली जमीन ज्यादा थी। ऐसे में स्मार्ट सिटी बनाना आसान था।
इस वर्ष के प्रारंभ में यही पर इन्वेस्टर समिट हुई थी। इसमें निवेशकों ने प्रदेश सरकार के साथ चार लाख अड़सठ हजार करोड़ रुपये के एमओयू किए थे। इनमें से करीब साठ हजार करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए जमीन खरीदने से लेकर विभिन्न तरह की स्वीकृतियां व अनापत्तियां ले ली गई थी। पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में जितना निवेश डेढ़ दशक में हुआ है, उससे अधिक राशि से जुड़े निवेश प्रोजेक्ट का एक साथ शिलान्यास करवाकर सरकार बड़ा संदेश देना दिया है। यह विपक्ष के सामने चुनौती है। उत्तर प्रदेश में सपा बसपा को पूर्ण बहुमत से पूरे कार्यकाल तक सरकार चलाने का मौका मिला। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने डेढ़ वर्ष में ही इनको विकास की दौड़ में पीछे कर दिया। लखनऊ में हुए शिलान्यास के बाद विपक्ष ने एक बार फिर ईवीएम का राग शुरू कर दिया है। इसका निहितार्थ समझा जा सकता है।