- बैंकों के लगातार बढ़ रहे एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट) से मोदी सरकार परेशान
मुंबई, 23 अगस्त 2018: मोदी सरकार को एक बार फिर पूर्व केन्द्रीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की याद आयी है क्योंकि बैंकों के लगातार बढ़ रहे एनपीए(नॉन परफॉर्मिंग असेट) से सरकार परेशान है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो एनपीए संकट से निजात पाने के लिए संसदीय आकलन समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने पूर्व केन्द्रीय रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन को समिति के सामने प्रस़्तुत होने के लिए कहा है।
बता दें कि संसदीय समिति देश में नॉन परफॉर्मिंग असेट संकट की जांच कर रही है। ख़बरों के मुताबिक समिति के अध्यक्ष ने सात अगस्त को रघुराम राजन को पत्र लिखा है। समिति को उम़्मीद है कि राजन समिति के सामने पेश होंगे। समिति चाहती है कि राजन एनपीए की समस्या और उससे लड़ने की कोशिश पर अपनी राय रखें और बताएं की इस समस्या से कैसे उबरा जाए।
बता दें कि रघुराम राजन का आरबीआई का कार्यकाल सितंबर 2016 में पूरा हुआ था, लेकिन केन्द्र सरकार ने उनका कार्यकाल नहीं बढ़ाया। केन्द्र सरकार ने उर्जित पटेल को नया गवर्नर नियुक्त किया। उधर रघुराम राजन अमेरिकी यूनीवर्सिटी में रिसर्च करने चले गये।
मास्टर हैं एनपीए की समस्या को पहचानने में रघुराम राजन
इस मामले में कुछ विशेषयज्ञ ने सुब्रमण्यम ने समिति को जानकारी दी कि एनपीए की समस्या को सही तरीके से पहचानने का श्रेय पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन को जाता है। वह बेहतर तरीके से बता सकते हैं कि आखिर देश में एनपीए की समस्या इतनी गंभीर कैसे हो गयी। सुब्रमण्यम ने दावा किया कि अपने कार्यकाल के दौरान राजन ने इस समस्या को हल करने की महत्वपूर्ण पहल की थी।
बता दें कि पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल में कहा था कि सरकारी बैंकों का विलय करने से पहले उनके नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) के मसले का समाधान होना चाहिए। उनके बहीखातों को साफ-सुथरा बनाया जाना चाहिए, ताकि उनकी सेहत में सुधार हो सके और उनके पास पर्याप्त पूंजी हो।
राजन के अनुसार बैंकों का निदेशक मंडल सक्रिय हो और उसमें पेशेवर लोग शामिल हों, ताकि उनकी सेहत को फिर से सुधारा जा सके। उन्हें पेशेवर बनाने और उनमें से राजनीतिक हस्तक्षेप दूर करने के लिए लगातार प्रयास किये जाने चाहिए. ऐसा किया जाना बैंकों के विलय के लिए यह आदर्श स्थिति होगी।