बड़े पैमाने पर नौकरशाही द्वारा भ्रष्टाचार अब छिपी बात नहीं है पर कानूनी शिकंजे में इसकी छोटी-बड़ी मछलियां कभी- कभार ही आती हैं। तब समझ में आता है कि करोड़ों-अरबों के वारे-न्यारे का खेल कैसे संभव हो जाता है और क्यों लंबे समय तक लोगों को भनक ही नहीं लगती। ऐसे ही एक मामले में यूपी के एक रिटायर्ड आईएएस अफसर और नोएडा विकास प्राधिकरण के पूर्व सीईओ के आवास से सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं। ईडी द्वारा मारे गए छापों में उनकी अलमारी और बेड से सात करोड़ हीरे भी बरामद हुए हैं।
दावा है कि यूपी में इतने हीरे किसी और सरकारी अफसर के घर से नहीं मिले। एक आवासीय प्रोजेक्ट में 636 करोड़ के घोटाले की छानबीन इस अधिकारी की साठगांठ का पता चला था। जांच आगे बढ़ने पर यह अधिकारी ऑस्ट्रेलिया चला गया और दो साल बाद लौटा। यूपी में आईएएस अफसरों के भ्रष्टाचार का यह पहला मामला नहीं है।
करीब एक दशक पहले यहां की आईएएस एसोसिएशन सर्वाधिक भ्रष्ट आईएएस को चिन्हित करने का अभियान भी शुरू किया था। एक पूर्व महिला मुख्य सचिव, अपने आईएएस बैच में टॉपर रहे एक पूर्व प्रमुख सचिव सहित कुछ अन्य अधिकारी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में जेल जा चुके हैं।
अन्य राज्यों के कुछ आईएएस अधिकारी भी भ्रष्टाचार की कारगुजारियां दिखा चुके हैं। इसका मतलब कि सरकारी कोष की लंबी-चौड़ी धनराशियों में जहां मंत्री के ओहदे पर पहुंच चुके कुछ लोग जमकर गोलमाल करते हैं,
वहीं सरकारों में रसूख रखने वाले आईएएस अधिकारी भी पीछे नहीं रहते । चूंकि ये सरकारी काम के हर बिंदु से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं, तो योजनाओं के बजट में अपना हिस्सा निकाल लेने का इंतजाम बखूबी कर लेते हैं। भ्रष्टाचार के इस सेंटर को तोड़ना केंद्र तथा राज्य सरकारों, दोनों के लिए जरूरी है।