फेडरिक नाम का एक राजा था। उसकी सेना में ऊंचे पद पर एक अफसर काम करता था। एक बार काम न होने से सेना में कटौती की गई और उस अफसर को सेवा से मुक्त कर दिया गया। बेचारा अफसर अब क्या करे? वह बार-बार कह देता कि उसके पास कोई काम नहीं है। अफसर के बार-बार आने से राजा तंग आ गया। उसने बड़े कठोर स्वर में कहा कि आयंदा से तुम मेरे पास मत आना, वरना अच्छा नहीं होगा।
इस घटना के कुछ दिन बाद राजा के विषय में किसी ने एक कविता लिखी, जिसमें राजा की बड़ी निन्दा की गई थी। राजा वैसे अच्छे स्वभाव का था, किन्तु अपनी निन्दा को वह सहन नहीं कर सका। उसने तत्काल मुनादी करवा दी कि जो कोई उस कविता के लेखक को पकड़कर लायगा, उसे सोने की पचास मोहरें इनाम में दी जायेंगी।
दूसरे दिन वही अफसर राजा के सामने मौजूद था। राजा क्रोध से आग-बबूला हो गया, जब उसने देखा कि वही अफसर उसके सामने है, जिसे उसने न मिलने का आदेश दिया था। राजा ने दांत पीसते हुए कहा, “तुम्हारी यह जुर्रत! मेरे मना करने पर भी तुम आ गये!”


अफसर बोला, “आपने अपने विरुद्ध कविता लिखने वाले को पकड़कर लाने वाले को पचास सोने की मोहरें देने की मुनादी करवाई थी।” राजा ने कहा “तो उससे क्या ?” अफसर बोला, “वह इनाम मुझे दिलवाइये।” “क्यों ?” राजा ने पूछा। अफसर ने जवाब दिया, “इसलिए कि उस कविता का लेखक मैं ही हूं। आप मुझे दण्ड दे सकते हैं, लेकिन मेरे बालबच्चों को भूखे मरने से बचाने के लिए इनाम अवश्य दे दीजिये।”
राजा ने गुस्से में कागज पर कुछ लिखकर देते हुए उससे कहा, “तुम स्पाण्डो किले के कमाण्डर से जाकर मिलो। मैंने तुम्हें कैद करने का हुक्म दिया है। लेकिन कमाण्डर से कहना कि वह भोजन करने से पहले इसे न पढ़े।” अफसर ने परवाना ले लिया और वहां से चल दिया। कमाण्डर के पास जाकर परवाना दिया और राजा की आज्ञा सुना दी कि खाने के बाद इसे पढ़ना। कमाण्डर ने वही किया। दोनों ने साथ-साथ खाना खाया। फिर परवाना पढा।
उसमें लिखा थाः “पत्र-वाहक को मैं आज से स्पाण्डो किले का कमाण्डर नियुक्त करता हूं। इसको सारा काम संभलवा दें और स्वयं पोटर्स डन के किले का चार्ज ले लें। इससे तुम्हें लाभ होगा। इसके साथ ही पत्र-वाहक के बाल-बच्चे भी सोने की पचास मोहरें लेकर वहां पहुंच रहे हैं।” अफसर तो सोच रहा था कि उसे कैद में डाल दिया जायगा, पर हुआ कुछ और ही। मारे खुशी के उसकी आंखों से आसू निकल पड़े। उसके जीवन की धारा ही बदल गई।