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    Home»मानो या न मानो

    क्या सच में होती हैं पुनर्जन्म की घटनाएं, क्या सच में कोई वापस लौटता है एक नए शरीर में ?

    ShagunBy ShagunApril 10, 2025Updated:April 10, 2025 मानो या न मानो No Comments6 Mins Read
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    भारतीय धर्म और संस्कृति में पुनर्जन्म (रेनकार्नेशन) एक गहराई से जुड़ा हुआ विश्वास है, जो हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म जैसे प्रमुख धर्मों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह मान्यता कहती है कि आत्मा मृत्यु के बाद एक नए शरीर में जन्म लेती है, और यह चक्र कर्मों के आधार पर चलता रहता है जब तक कि आत्मा मोक्ष या निर्वाण प्राप्त न कर ले। हाल के समय में पुनर्जन्म से जुड़ी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिन्हें लोग आश्चर्य और अध्ययन के दृष्टिकोण से देखते हैं। ऐसी ही एक नै (हाल की) और चर्चित घटना का उल्लेख कर सकते हैं।

    उत्तर प्रदेश के तुसी की कहानी

    साल 2000 के दशक में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में तुसी नाम के एक बच्चे की कहानी ने लोगों का ध्यान खींचा। तुसी ने चार साल की उम्र में दावा किया कि वह अपने पिछले जन्म में पास के गांव का एक व्यक्ति था, जिसकी मृत्यु एक दुर्घटना में हो गई थी। उसने अपने “पूर्व जन्म” के परिवार का नाम, गांव का विवरण और अपनी मृत्यु के तरीके को इतनी सटीकता से बताया कि लोग हैरान रह गए।

    तुसी के माता-पिता ने शुरू में इसे बच्चे की कल्पना समझा, लेकिन जब उसने बार-बार एक ही कहानी दोहराई और उस गांव में जाने की जिद की, तो वे उसे वहां ले गए। वहां पहुंचते ही तुसी ने उस परिवार के लोगों को पहचान लिया, उनके घर की संरचना और कुछ व्यक्तिगत बातें बताईं, जो केवल उस मृत व्यक्ति को ही पता हो सकती थीं। उसने यह भी बताया कि उसकी मृत्यु एक ट्रैक्टर दुर्घटना में हुई थी, जिसकी पुष्टि उस परिवार ने की। यह घटना स्थानीय स्तर पर काफी चर्चित हुई और कई शोधकर्ताओं ने इसे पुनर्जन्म के संभावित प्रमाण के रूप में देखा।

    वैज्ञानिक नहीं मानते यह बातें : भारत में पुनर्जन्म की ऐसी घटनाओं को लोग धार्मिक विश्वास के साथ जोड़कर देखते हैं। हिंदू शास्त्रों में, जैसे कि भगवद गीता (अध्याय 2, श्लोक 22), कहा गया है:
    “वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।”
    अर्थात, जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर नए वस्त्र धारण करता है, वैसे ही आत्मा पुराने शरीर को छोड़कर नए शरीर में प्रवेश करती है।
    हालांकि, वैज्ञानिक समुदाय इसे संदेह की नजर से देखता है और इसे याददाश्त का भ्रम, मानसिक प्रभाव या संयोग मानता है। फिर भी, भारत में ऐसे कई मामले समय-समय पर सामने आते रहते हैं, जैसे कि तुसी की घटना, जो लोगों के बीच इस विश्वास को मजबूत करते हैं।

    इस घटना को पढ़कर शायद आपका नजरिया बदल जाए :

    भारतीय धर्म और संस्कृति में पुनर्जन्म की मान्यता अत्यंत प्राचीन है। ये मान्यता तब और मजबूत हो जाती है जब इस तरह की घटनाएं देखने को मिलती हैं जब कोई अपने पिछले जन्म की घटनाओं को बिल्कुल सटीक बता देता है।

    अक्सर इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं। इसी तरह का एक मामला राजस्थान के राजसमंद में सामने आया है। यहां मात्र 4 साल की एक बच्ची ने अपने पिछले जन्म की लगभग सभी घटनाओं को सटीक बता दिया, यही नहीं उसने अपने पिछले जन्म में हुई मौत के बारे में भी बिल्कुल सही जानकारी दी। क्या है पूरा मामला आपको आगे बताते हैं-

    बच्ची के पुनर्जन्म का दावा : राजसमंद जिले के नाथद्वारा से सटा गांव है परावल। यहां के रतनसिंह चूंडावत की 5 बेटियां हैं। वह एक होटल में नौकरी करते हैं। पिछले एक साल से उनकी सबसे छोटी बेटी 4 साल की किंजल बार-बार अपने भाई से मिलने की बात कह रही थी।

    किंजल के दादा राम सिंह चूंडावत ने कहा कि उन्होंने पहले तो इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन दो महीने पहले जब एक बार किंजल की मां दुर्गा ने किंजल को अपने पापा को बुलाने को कहा तो वह बोली पापा तो पिपलांत्री गांव में हैं। पिपलांत्री वही गांव है, जहां ऊषा नाम की एक महिला की जलने से मौत हो गई थी। यह गांव किंजल के अभी के गांव से करीब 30 किलोमीटर दूर है। किंजल कहती है कि वह वही ऊषा है जो जलकर मर गई थी।

    पिछले जन्म में हुई मौत के बारे में बताया : उषा के गांव पिपलांत्री के लोगों का दावा है कि नौ साल पहले आग से जलकर उसकी मौत हो गई थी। यहीं से शुरू होती है किंजल के पुनर्जन्म की कहानी। बच्ची के जवाब और दावे से पूरा परिवार हैरान रह गया है। मां दुर्गा के बार-बार पूछने पर किंजल ने बताया कि उसके मां-बाप और भाई समेत पूरा परिवार पिपलांत्री में ही रहता है। वह 9 साल पहले जल गई थी। इस हादसे में उसकी मौत हो गई और एंबुलेंस यहां छोड़कर चली गई। दुर्गा ने यह बात बच्ची के पिता रतन सिंह को बताई. किंजल ने बताया कि उसके परिवार में दो भाई-बहन हैं, पापा ट्रैक्टर चलाते हैं। पीहर पीपलांत्री और ससुराल ओडन में है।

    मिलने आया पिछले जन्म का भाई : किंजल की कहानी जब पिपलांत्री के पंकज के पास पहुंची तो वह परावल आया। पंकज ऊषा का भाई है। बकौल पंकज जैसे ही उसने किंजल को देखा तो उसकी की खुशी का ठिकाना न रहा। फोन में मां और ऊषा का फोटो दिखाया तो वह फूट-फूटकर रोने लगी। 14 जनवरी को किंजल अपनी मां और दादा सहित परिवार के साथ पिपलांत्री पहुंची।

    पिछले जन्म के गांव पहुंची बच्ची : ऊषा की मां गीता ने बताया कि जब किंजल हमारे गांव आई तो ऐसा लगा जैस बरसों से वह यहीं रह रही हो। जिन महिलाओं को वह पहले जानती थी, उनसे बात की। यहां तक कि जो फूल ऊषा को पसंद थे, उसके बारे में किंजल ने पूछा कि वो फूल अब कहां हैं। तब हमने बताया कि 7-8 साल पहले हटा दिए थे। दोनों छोटी बेटियों और बेटों से भी बात की और खूब दुलार किया। गीता ने बताया कि उनकी बेटी ऊषा 2013 में घर में काम करते वक्त गैस चूल्हे से झुलस गई थी। ऊषा के दो बच्चे भी हैं।

    दोनों परिवारों में बना अनूठा रिश्ता : इस घटनाक्रम के बाद किंजल और ऊषा के परिवार के बीच अनूठा रिश्ता बन गया है। किंजल रोजाना परिवार के प्रकाश और हिना से फोन पर बात करती है। ऊषा की मां कहती हैं, ‘हमें भी ऐसा लगता है कि मानों हम ऊषा से ही बात कर रहे हों। ऊषा भी बचपन में ऐसे ही बातें करती थी।

    हालांकि, किंजल की उम्र छोटी है और वह पूरी तरह से बोल भी नहीं पाती है, लेकिन इशारों ही इशारों में वह सब कुछ बयां कर देती है, जिसकी चाहत उषा का परिवार रखता है। किंजल के परिजनों ने पहले इसे बीमारी मानकर किंजल को डॉक्टर को भी दिखाया, लेकिन उन्होंने उसे पूरी तरह से स्वस्थ बता दिया। इसके बाद उसके पुनर्जन्म का दावा किया जा रहा है।

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