उपभोक्ता परिषद हर स्तर पर करेगा विरोध
लखनऊ 25 अप्रैल 2023: केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार एक नया कानून बनाने जा रहा है जिसमें वितरण हानियों यानी कि बिजली चोरी का खामियाजा राज्यों की जनता पर डाला जाएगा. केंद्र सरकार द्वारा जो प्रस्तावित कानून है जिस पर देश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं व संबंधित पक्षों से 11 मई तक आपत्तियां मांगी गई है उसके अनुसार केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय इलेक्ट्रिसिटी रूल 2023 में कुछ धाराओं में संशोधन करना चाहता है जिसमें केंद्र सरकार का मानना है कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार के बीच वितरण हानियों पर जो भी ट्रैजेक्टरी सेट की जाएगी उसे राज्य के विद्युत नियामक आयोग को मानना पडेगा .
एक प्रेस नोट जारी कर उपभोक्ता परिषद ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून में यह बात भी लिखी गई है कि वितरण हानियों से जो भी नुकसान होगा उसकी आधी भरपाई प्रदेश के उपभोक्ताओं से की जाएगी और आधी भरपाई बिजली निगम करेंगे और उसका भार बिजली दर में उपभोक्ताओं पर पास किया जाएगा यानी कि भारत सरकार जो आरडीएसए स्कीम ला रही है और उस पर राज्य सरकार ने अपनी सहमति दी है उसमें जो भी वितरण हानियां अलग-अलग बरसों में प्रस्तावित है उस पर ही बिजली दर तय की जाए उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्तावित नए कानून को देश का काला कानून करार दिया और कहा इसका प्रभाव सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर पडेगा.
परिषद ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहां वितरण हानियों यानी कि बिजली चोरी का खामियाजा पिछले 4 वर्षों से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में नहीं पास होता कभी सरकार ने कहा उदय की ट्रैजेक्टरी की वितरण हानियां मानी जाय और अब आरडीएसएस में प्रस्तावित वितरण हानियां मानने की बात की जा रही है जो पूरी तरह उद्योगपतियों को बडा लाभ देने की साजिश की जा रही है और चोर दरवाजे से स्मार्ट प्रीपेड मीटर को बढावा देने के लिए यह सब किया जा रहा है जिसका उपभोक्ता परिषद हर स्तर पर विरोध करेगा और जल्द ही केंद्रीय कानून के खिलाफ आपत्तियां ऊर्जा मंत्रालय को भेजी जाएगी।
इस मामले में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा वर्तमान में उत्तर प्रदेश में बात की जाए तो वर्ष 2021-22 में जहां प्रदेश में 11.08 प्रतिशत वितरण हानियों पर बिजली दर तय की गए थी. वही वर्ष 2022 – 23 ,में 10.67 प्रतिशत वितरण हानियों पर बिजली दर तय की गई थी और यदि बात करें वर्तमान में वर्ष 2023- 24 की तो आरडीएसएस में जो वितरण हानियां बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तावित की गई है वह लगभग 14.90 प्रतिशत है ऐसे में इस पर यदि भविष्य में भी बिजली दर तय की जाए तो सीधा सीधा 8 से 10 प्रतिसत बिजली दरों में बढोतरी होगी जो पूरी तरह गलत है ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए काला कानून है और इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा.