नियामक आयोग चेयरमैन ने बिजली कम्पनियों को आडे हाथों लिया कहा उपभोक्ता परिषद की बिजली दर कम करने की मांग की काट के लिये आनन-फानन में रेग्यूलेटरी सरचार्ज का नियम विरूद्ध ले आये प्रस्ताव सबकी बोलती बंद
उपभोक्ता परिषद ने कम्पनियों पर कसा तंज कहा यही बीजेपी सरकार बंगाल पर किया था ऐलान सरकार बनाओे 200 यूनिट फ्री पाओं और यहाॅं सरकार बन गयी है तो सरचार्ज लगाओं यह नही चलने वाला है।
प्रदेश की बिजली कम्पनियों की तरफ से दाखिल एआरआर वर्ष 2021-22 व स्लैब परिवर्तन सहित रेग्यूलेटरी सरचार्ज बढाने के लिये दाखिल प्रस्ताव पर आज विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन श्री आर पी सिंह एवं सदस्यगण कौशल किशोर शर्मा एवं विनोद कुमार श्रीवास्तव की उपस्थित में वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पश्चिमाॅंचल, दक्षिणाॅंचल व केस्को की सुनवाई प्रातः 11 बजे से शुरू होकर 2 बजे तक चली।
पहले तीनों कम्पनियों के प्रबन्ध निदेशकों/निदेशकों की तरफ से अपने प्रस्ताव का प्रस्तुतीकरण किया गया वहीं पावर कारपोरेशन के रेग्यूलेटरी विग्स ने भी सभी बिजली कम्पनियों के आंकड़ों का संकलित प्रस्तुतीकरण किया गया। इस दौरान नियामक आयोग के चेयरमैन श्री आर पी सिंह द्वारा बिजली कम्पनियों पर तल्ख टिप्पणी से सभी के होश उड गये। कहा गोलमोल बात मत करिये बताइये बिजली दर बढोत्तरी और रेग्यूलेटरी सरचार्ज पर आपकी क्या राय है। सभी चुप्पी साध गये।
चेयरमैन नियामक आयोग ने कहा कि चूॅकि उपभोक्ता परिषद 19537 करोड के एवज में बिजली दर कम करने की बात कर रहा है इसलिये उसको रोकने के लिये आप नियम विरूद्ध रेग्यूलेटरी सरचार्ज का प्रस्ताव ले कर आ गये। केन्द्र सरकार की उदय की गाइडलाइन तो पढ लेते। अब आगे वहीं 19 मई को भी मध्याॅंचल, पूर्वांचल की सुनवाई होगी इसके बाद आयोग बिजली दर पर निर्णय लेगा।
प्रदेश के उपभोक्ताताअेा का पक्ष रेखते हतुये उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली कम्पनियों पर अनेकों विधिक सवाल जब दागना शुरू किया तो सभी के होश उड गये।
उपभोक्ता परिषद ने कहा रेग्यूलेटरी सरचार्ज का नियम विरूद्ध प्रस्ताव लाने के लिये बिजली कम्पनियों के प्रबन्ध निदेशकों के खिलाफ विधिक कार्यवाही होनी चाहिये। 9 वर्षो में किसानों ग्रामीणों व शहरी के बिजली दरों में 84 प्रतिशत से 500 प्रतिशत तक वृद्धि की गयी है आज प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत उत्तर प्रदेश में केवल 629 यूनिट है। उसका मुख्य कारण बिजली दर मंहगी होने के कारण उपभोक्ता चाह कर भी उसका उपभोग नही कर पाता। आगे उपभोक्ता परिषद ने कहा जो स्लैब परिवर्तन खारिज हो चुका है उसको कैसे दुबारा बिजली कम्पनियाॅं लेकर आ गयीं। प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर जो 19537 करोड निकल रहा है उसके एवज में बिजली दरों में एकमुश्त 25 प्रतिशत अथवा 3 वर्षों तक 8-8 प्रतिशत की कमी हो। जिससे करोना संकट में उपभोक्ताओं को राहत मिले।
उपभोक्ता परिषद ने कहा जब नियामक आयोग ने 11.08 वितरण हानियाॅं बिजनेस प्लान में अनुमोदित की तो बिजली कम्पनियाॅं कैसे 16.64 प्रतिशत लेकर आ गयीं। यह जाॅंच का मामला है। बिजली कम्पनियों का औसत विद्युत लागत जो वर्ष 2018-19 में रू0 6.89 प्रति यूनिट थी वह वर्ष 2021-22 में रू0 8.57 प्रति यूनिट कैसे हो गयी इसकी जाॅंच होनी चाहिये। बिजली कम्पनियों ने ओएण्डएम खर्च बिना एमवाईटी रेग्यूलेशन के दाखिल किया है उसे खारिज किया जाये। बिजली कम्पनियों का सब्सिडी रहित व सब्सिडी सहित दर की मांग करना पूरी तरह गलत है अगर उसे ऐसा टैरिफ चाहिये तो सरकार से प्रस्ताव लाये। मंहगी बिजली खरीद पर उपभोक्ता परिषद ने बिजली कम्पनियों को घेरते हुये कहा कि उप्र में रू0 16 प्रति यूनिट से लेकर रू0 25 प्रति यूनिट तक बिजली खरीद की गयी। बिजली न हो गया सोना हो गया इस पर आयोग जाॅंच बैठाये।
उपभोक्ता परिषद ने कहा बिजली कम्पनियों ने 60 लाख विद्युत उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी पर ब्याज शून्य फीड करके पिछले 10 वर्षों से रू0 100 करोड से ज्यादा हडप लिया और टैरिफ में भी पासआन करा लिया इस पर बिजली कम्पनियों के खिलाफ चार सौ बीसी का मुकदमा दर्ज होना चहिये। बिजली कम्पनियों द्वारा मांगे गये रिटर्न आफ इक्यूटी यानि कि फायदा रू0 2552 करोड को खारिज किया जाये। बिजली कम्पनियों का यह कहना कि फिक्सड कास्ट का कम्पोनेन्ट 65 प्रतिशत है और वैरेबिल 35 प्रतिशत पूरी तरह गलत है। अपनी फिजूलखर्ची को शामिल करके भारत में पहली बार ऐसा देखने केा मिल रहा है जो जाॅंच का विषय है।
उपभोक्ता परिषद की जोरदार बहस के आगे बिजली कम्पनियाॅं चुपचाप थी। उपभांेक्ता परिषद ने कहा इनका टैरिफ सरलीकरण का प्रस्ताव वास्तव में 150 से 200 यूनिट के उपभोक्ताओं को तबाह करने वाला एवं बडे उपभोक्ताओं को फायदा पहुचाने वाला है जो सोचनीय है। आगे उपभोक्ता परिषद ने किसानों की पैरवी करते हुये कहा उनके मीटर कटेगरी की दरें बहुत ज्यादा हैं उसे आधी की जाये अथवा मीटर केवल एनर्जी एकाउन्टिंग के लिये रखा जाये और उनसे फिक्सड चार्ज पर ही वसूली की जाये।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली कम्पनियों पर तंज कसते हुये कहा कि यही उ0 प्र0 की बीजेपी सरकार बंगाल के चुनाव में कह रही थी सरकार बनाओ 200 यूनिट तक बिजली फ्री पाओं। यहाॅं उ0 प्र0 में सरकार बन गयी है तो रेग्यूलेटरी सरचार्ज लगाओ। यह असंवैधानिक सरचार्ज उ0 प्र0 में लगने वाला नही है।
सुनवाई में सौरभ श्रीवास्तव, योगेश अग्रवाल ने क्रास सब्सिडी व रेग्यूलेटरी सरचार्ज न बढाने पर अपनी बात रखी। धीरज खुल्लर ने इण्डस्ट्री की तरफ से बन्देलखण्ड को एक पैकेट देने की मांग रखी। मनोज कुमार गुप्ता ने प्री पेड मीटर की अधिक दरों कम करने का मुददा उठाया। प्रतीक अग्रवाल ने लाइफ लाइन उपभोक्ताओं को समान रूप से ध्यान देने की बात की। देलही मेट्रो ने मेट्रो की दरें कम करने की बात की। सौमीन्द्र अग्रवाल ने वेबसाइट पर डाटा समय पर डालने की मांग उठायी।