गंगा दशहरा, पितृ व योग दिवस पर राष्ट्रीय बेविनार
लखनऊ, 21 जून, 2021: अखिल भारतीय उत्तराखंड युवा प्रतिनिधि मंच एवं राष्ट्रीय सर्वभाषी ब्राह्मण संगठन की ओर से गंगा दशहरा, पिता दिवस व योग दिवस पर आनलाइन त्रिवेणी उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आए वक्ताओं ने अपने विचार रखे। वेबिनार में कहा गया कि आज के समय में लोग अर्थ और काम के पीछे भागने में लगे हुए हैं। ऐसे वातावरण में भारतीय वैदिक सभ्यता-संस्कृति के सिद्धांतों का धर्म का प्रचार व प्रसार हो और उसके लिए हम कटिबद्ध रहें। पिता में धीरज, संयम, अनुशासन, व्यवहार कुशलता, गंभीरता, प्रेम, क्षमा जैसे गुणों का होना नितांत आवश्यक है, क्योंकि यही संस्कार वह अपने बच्चों को देते हैं। इनका पालन करते हुए ही संस्कार युक्त बच्चे उन्नति की राह पर चलते हैं। संचालन प्रीति कश्मीरा का व धन्यवाद भगवती पंत का रहा।
फेसबुक लाइव पर कार्यक्रम की शुरुआत मधुबाला श्रीवास्तव के मां शारदे की स्तुति- जय जय जय मां वीणा पाणि, नमन करूं तुझे हूं अज्ञानी से हुई। तत्पश्चात् राष्ट्रीय अध्यक्ष हरीश उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में कहा परम पिता महादेव को वंदन करते हुए कहा कि बच्चे पिता से ही जगत व्यवहार पाते हैं। पिता द्वारा यही ज्ञान और संस्कार अपने बच्चों को दिए जाते हैं। जिससे बच्चे संस्कारों का पालन करते हुए उन्नति की राह में चलकर अपनी मंजिल पर पहुंचते हैं।
गंगा दशहरा के पावन पर्व के विषय में कहा कि इस तिथि में स्नान दान तर्पण से दस पापों का नाश होता है। उन्होने कहा योग को अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाने व आयुर्वेद के अनुसरण पर बल दिया। श्री उपाध्याय ने कहा संतुलित जीवन शैली के लिए नित्य तीस मिनट योग व प्राणायाम करना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अयोध्या के पीठाधीश्वर स्वामी डॉक्टर केशवाचार्य महाराज ने कहाकि इस घोर कलयुग के समय में लोग अर्थ और काम के पीछे भागने में लगे हुए हैं। ऐसे वातावरण में भारतीय वैदिक सभ्यता-संस्कृति के सिद्धांतों का धर्म का प्रचार व प्रसार हो और उसके लिए हम कटिबद्ध रहें धैर्य पूर्वक प्रयास करें।
देहरादून की जिया हिंद वाल ने पिता के ऊपर एक सुंदर रचना का पाठ किया- मां तू कह देती है सब कुछ अपने दिल की बात, सब कुछ समेट के आसमान सा फैला है पिता।
इसके पश्चात प्रीति कश्मीरा ने गंगा अवतरण की कथा का स्वरचित काव्य गायन- क्यों होता है गंगा दशहरा, तुमको आज बताती हूं ।
पौराणिक है कथा बहुत ,पर जतन से तुमको सुनाती हूँ का गायन किया। भावना बरथ्वाल ने योग पर कविता-
कुछ टूटे से कुछ बिखर गए थे हम, अध्यात्म से रूठ से गए थे हम सुनाई। योग को आध्यात्मिकता से जोड़ने लगे थे लोग। राजेश भट्ट ने कहा कि योग दर्शन, आत्म साक्षात्कार या आत्मबोध का दूसरा नाम है हमारे महान योगेश्वर भगवान शिव ने हमें यह योग दर्शन दिया है। उसके बाद योगेश्वर कृष्ण व हमारे ऋषि-मुनियों ने इसी क्रम में हमें आगे बढ़ाया है। डॉ आभा सिंह भैसोड़ा ने योग प्रस्तुति दी। सुश्री नंदनी जोशी ने- ओ रे पिया उड़ने लगा है मन बावरा गीत पर भाव विभोर करने वाला योग नृत्य प्रस्तुत किया।
इससे पूर्व संगठन की अध्यक्ष रति चौबे ने राष्ट्रीय अध्यक्ष हरीश उपाध्याय के संबंध में कहा की वह हमेशा न्याय के ही फैसले करते रहे हैं, झूठ की पंचायतों में यह नहीं शामिल रहे हैं, चापलूसी इन्हें नहीं आती। संयोजिका प्रीति कश्मीरा के लिए कहा कि पनघट पर पायल के नूपुर की रुनझुन सी, डूबती गगरिया में गीतों की गुनगुन सी। भक्ति रस के गीतों में डूबी व लिपटी सी, प्रीत रस बिखराती सी उसमें ही डूबी सी। कार्यक्रम के अंत में हैदराबाद की भगवती पंत ने आभार धन्यवाद ज्ञापित किया।