गुरु विशालता का रूप है। अंग्रेजी शब्द ‘गाइड’ संस्कृत के गुरु शब्द से आया है। गिटार, संगीत या अन्य किसी भी प्रकार का शिक्षण हो, सभी कार्यों के लिए एक ‘गाइड’ चाहिए। गुरु वह है जो मनुष्य की प्रज्ञा और ज्ञान में मार्गदर्शन करता है और प्राणशक्ति जगाता है। हर व्यक्ति के भीतर यह गुरु तत्व है। जाने-अनजाने तुम किसी न किसी के गुरु हो। जब भी तुमने बिना किसी आशा के किसी के लिए कुछ किया हो, किसी को कोई सलाह दी हो, मार्गदर्शन किया हो, प्रेम दिया हो और देखभाल की हो, तब गुरु की ही भूमिका निभाई है।
गुरु तत्व सम्मान और विश्वास करने की चीज है। तुम्हारे आसपास कितने ही लोग भावनाओं और दोषारोपण के बीच अटके हैं, लेकिन अगर तुम्हारे पास गुरु हैं तो इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। और अगर पड़ेगा भी तो वह कुछ मिनटों से ज्यादा टिकने वाला नहीं। यह वैसे ही है जैसे जब तुम्हारे पास रेनकोट होता है, तो तुम अपने को बरसात से बचा पाते हो। जब व्यक्ति गुरु तत्व के इस सिद्धांत के साथ चलता है, तब उसकी सभी सीमाएं मिट जाती हैं और वह आसपास के सभी व्यक्तियों और ब्रह्मांड के साथ एक होने का अनुभव करने लगता है। जब यह ज्ञान प्रकट होता है, दु:ख गायब हो जाता है और आत्मग्लानि के लिए कोई स्थान नहीं रहता। अगर तुम्हारे भीतर आत्मग्लानि है, तो इसका अर्थ है अभी तक तुम गुरु तक नहीं आए हो। गुरु तक आने का अर्थ है श्रद्धा होना कि गुरु हमेशा हमारे साथ है। इसका अर्थ है हमें जो चाहिए, वह होगा और हमें रास्ता दिखाया जाएगा।
जीवन में शांति सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा रास्ता साधना, सत्संग, आत्म-चिंतन और भक्ति द्वारा गुरु के निकट रहना है। जब व्याकुलता बहुत ज्यादा बढ़ जाए, तब समर्पण में आश्वासन पाओ। गुरु तुम्हारे असली स्वभाव का ही प्रतिबिम्ब है और आत्मा में वापस अग्रसर करने के लिए मार्गदर्शक है। जिस पल तुम गुरु को गुरु मान लेते हो, उनके सभी गुण प्राप्त करना संभव हो जाता है। एक बार जब गुरु उपाय बन जाते हैं तो तुम जीवन में कभी पराजित नहीं होते। गुरु यहां तुम्हारे लिए हैं और अच्छे-बुरे समय में तुम्हारे साथ हैं। तुम अकेले नहीं हो। तो गुरु को ढूंढ़ निकालो, स्वाभाविक रूप से जियो और प्रेम व आनंद में खुशी मनाओ।