उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने प्रदेश के 19 जनपदों में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आज से शुरू होने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम का किया वर्चुअल शुभारम्भ
लखनऊ,22 नवम्बर, 2021: “फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का लक्ष्य पूर्ण रूप से प्राप्त करने के लिए हमें सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी लाभार्थी फ़ाइलेरिया रोधी दवा खाने से न छूटे, इसके लिए प्रदेश से लेकर ग्राम स्तर के अंतिम छोर तक गहन मोनिटरिंग के साथ कार्य करना होगा “ ये उदगार प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने आज से प्रदेश के 19 जनपदों में शुरू होने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम का वर्चुअल उदघाटन करते समय व्यक्त किये ।
उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदेश में कार्यक्रम की कवरेज 83% हो गयी है मगर आंकड़ों के अनुसार अभी भी काफी लोग फ़ाइलेरिया रोधी दवा के महत्व को नहीं समझते हुए खाने से इनकार कर रहें है, हम सबको समन्वय बनाकर कार्य करना होगा ताकि ऐसे सभी लोगों को फ़ाइलेरिया दवाएं खाने के लिए प्रेरित किया जाये । इसके साथ ही इस तरह की तकनीकी व्यवस्था की जाये ताकि क्षेत्र के प्रतिदिन की रिपोर्टिंग डिजिटल माध्यम से तुरंत मिलती रहे ।
इस अवसर पर, अपर निदेशक मलेरिया एवं वेक्टर बोर्न डिजीज एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी फ़ाइलेरिया एवं कालाजार , चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार डॉ. सिंह ने कहा कि आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के 19 जनपदों यथा- अम्बेडकरनगर, अमेठी, अयोध्या, आज़मगढ़ , बलिया, बाँदा, बरेली, चित्रकूट, हमीरपुर, जालौन, जौनपुर, महोबा, मऊ, पीलीभीत, संत रविदास नगर (भदोही), शाहजहांपुर, लखनऊ, सोनभद्र और बाराबंकी में, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोविड-19 के मानकों को ध्यान में रखते हुए, मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एम.डी.ए.) कार्यक्रम आज से शुरू किया जा रहा है ।
उन्होंने बताया कि एमडीए गतिविधियों का संचालन कोविड-19 के मानकों का पालन करते हुए किया जाएगा, जिसमें हाथ की स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी) शामिल हैं । उन्होंने सूचित किया कि इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी.और अल्बंडाज़ोल की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी एवं किसी भी स्थिति में, दवा का वितरण नहीं किया जायेगा । 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी।
डॉ. सिंह ने बताया कि मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम द्वारा हाइड्रोसील और लिम्फेडेमा से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं उनको समुचित इलाज प्रदान किया जा रहा है।
उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश में वर्ष 2020-2021 के आंकड़ों के अनुसार हाइड्रोसील के 28, 228 मरीज़ और लिम्फेडेमा के लगभग 84, 000 मरीज़ हैं | डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि ये दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं | रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं ।
सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं | और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं | उन्होंने कहा कि साल में केवल 1 बार फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खाने से फ़ाइलेरिया के संक्रमण से बचा जा सकता है ।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि मास ड्रग कार्यक्रम के दौरान सभी लाभर्थियों को फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाने से फ़ाइलेरिया जैसे गंभीर संक्रमण से बचाव सुनिश्चित होगा ।
डॉ. नूपुर रॉय, अपर निदेशक, एनसीवीबीडीसी, भारत सरकार ने कहा कि प्रदेश में सभी सहयोगी संस्थाएं, सरकार के साथ जिस तरह समन्वय बनाकर कार्य कर रहीं हैं, पूरी आशा है कि प्रदेश से फ़ाइलेरिया का उन्मूलन बहुत जल्दी होगा ।
कार्यशाला में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश के अधिकारी, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ , प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, सीफार, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधियों के साथ ही उन जनपदों के स्वास्थ्य अधिकारियों और मीडिया सहयोगियों ने भी वर्चुअल रूप से भाग लिया, जहाँ आज से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू किया गया है ।