घरेलू गैस कंस्यूमर ध्यान रखें
- हर सिलेंडर की मियाद होती है 5 साल। इसके खत्म होने की तारीख और साल सिलेंडर के ऊपर के रिंग पर लिखा होता है, जिसे कोई नहीं देखता। इस मियाद के बाद डीलर को इन सिलेंडरों को एक्सपायर्ड मान कर निकाल देना चाहिए। अगर आपको पुराना सिलिंडर दिया गया है तो एजेंसी को शिकायत करें। एक कॉपी मैन्युफैक्चरर (हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत गैस आदि) को भी भेजें।
- एजेंसी से जांच के बाद ही सिलेंडर लें। सीधे गोदाम से लाया सिलेंडर न लें। नियम के अनुसार सिलेंडर को एजेंसी के ऑफिस से उसी दिन इश्यू किया जाना चाहिए और वह सीधे आपके पास पहुंचना चाहिए। इससे छेड़छाड़ की आशंका कम रहती है।
- अगर सिलेंडर लाते वक्त रास्ते में या फिर कर्मचारी के सिलेंडर लगाते वक्त कोई हादसा होता है तो जिम्मेदारी एजेंसी की होगी।अगर कंस्यूमर एजेंसी से खुद सिलेंडर लाता है (जिसमें कुछ डिस्काउंट भी मिलता है) या खुद सिलेंडर लगाने पर हादसा हो जाता है तो जिम्मेदारी लगाने वाले की मानी जाती है। ऐसे मामलों में कंस्यूमर आमतौर पर कोर्ट में केस नहीं जीत पाता।
- सिलेंडर जिसने खरीदा होता है, उसे ही कंस्यमूर माना जाता है। अगर किसी से मांग कर सिलेंडर यूज कर रहे हैं और उससे कोई हादसा हो जाता है तो आप मुआवजा क्लेम नहीं कर पाएंगे।
- सुरक्षा के लिहाज से किसी दूसरे कस्टमर को अपना सिलेंडर न देने की बात कस्टमर बनाते वक्त कही जाती है। उस नियम का पालन करते हुए अपना सिलेंडर किसी और को देने से बचें।
- मान लीजिए आपने सारी सावधानी बरत ली, फिर भी हादसा हो गया तो आप कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के तहत कंस्यूमर कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं और मुआवजे की मांग कर सकते हैं।ध्यान रखें
1. सिलिंडर अधिकृत कर्मचारी से ही लें। कर्मचारी का आई-कार्ड देख सकते हैं।
2. सिलिंडर की मियाद की जांच करें। 3. सिलिंडर सीधे डीलर से ही लें तथा वजन तोल कर लें। 4. गैस की गंध को अनदेखा न करें। 5. ट्यूब की जांच समय-समय पर अधिकृत एजेंसी से करवाएं।
शिकायत कहां करें : अपने इलाके के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में।