यह कहानी हमें बताती है कि कैसे विभिन्न लोग प्रतिकूल परिस्थितियों का विभिन्न प्रकारों से सामना करते हैं। ‘आशा’ के पिता ने तीन अलग-अलग बर्तनों में उबलते पानी में एक अंडा, एक आलू और तीसरे में कुछ चाय की पत्तियाँ डाली। उन्होंने आशा को दस मिनट तक बर्तनों पर नजर रखने के लिए कहा। दस मिनट के बाद उन्होंने आशा को आलू और अंडा छीलने और चाय को छानने के लिए कहा, आशा के समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
फिर उसके पिता ने उसे समझाया कि, ‘यह तीनो चीजें समान परिस्थिति में थे, लेकिन देखो कैसे उन तीनों पर उसका अलग-अलग प्रभाव पड़ा है। आलू अब नर्म हो गया था, अंडा कड़ा हो गया था और चाय के पत्तियों ने तो पानी का ही रंग बदल दिया था। हम सभी इन वस्तुओं की तरह हैं, जब कोई प्रतिकूल परिस्थिति आती है तो हम भी ठीक इन्हीं की तरह प्रतिक्रिया देंगे, अब
आप आलू हैं, अंडा हैं या चाय की पत्ती हैं?’
कहानी से मिली सीख: यह हम पर निर्भर करता है कि हम प्रतिकूल परिस्थिति का सामना कैसे करते हैं।