दर्जनों राज्य अपनी महंगी बिजली को सरेंडर करने के लिया ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार को दिया है प्रस्ताव और अपनी महंगी बिजली की है सरेंडर
देश में कई ऐसे राज्य हैं जो अपने उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने के उपाय हर स्तर पर कर रहे हैं। समय समय पर प्रदेश की बिजली कम्पनियों द्वारा जो निजी घरानो केंद्रीय सेक्टर व राज्य सेक्टर के उत्पादन इकाइयों से बिजली खरीद का जो अनुबंध किया है उसकी समीक्षा करें और महंगी बिजली को सरेंडर करें, देश के अनेकों राज्य अपनी महंगी बिजली सरेंडर कर रहे हैं जैसे ओडिसा, राजस्थान, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, मेघालय, मध्यप्रदेश, दिल्ली, तिरपुरा, सिक्किम जैसे अनेकों राज्यों ने अपनी महंगी बिजली सरेंडर का प्रस्ताव केंद्रीय ऊर्जा मंत्रायलय को दिया है और सरेंडर कर भी दिया है उपभोक्ता परिषद का कहना हैं कि लेकिन उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है कि आज भी महंगी बिजली को सरेंडर नहीं कर पाया जो चिंता का विषय है।
उपभोक्ता परिषद ने काफी अध्यन के बाद यह पाया कि पावर कार्पोरेशन भी लगभग 1600 मेगावाट महंगी बिजली सरेंडर कर सकता है जिसमें एनटीपीसी की लगभग 800 मेगावाट पावर है और की निजी घरानो की लगभग 800 मेगावाट पावर है जिसको सरेंडर करने के बाद सस्ती बिजली पावर एक्सचेंज व अन्य माध्यमों से खरीद की जा सकती है जिसका लाभ प्रदेश की जनता और विभाग को मिल सकता है। जल्द ही इस मुद्दे पर उपभोक्ता परिषद अपनी अध्यन रिपोर्ट लेकर सरकार को सौपेगी ।
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व विश्व ऊर्जा कौंसिल के स्थायी सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा परिषद इस गंभीर मुद्दे पर दूसरे राज्यों की तरह प्रदेश में समीक्षा कर महंगी बिजली सरेंडर करने की सरकार से मांग करती है सरकार इस पर जनहित में निर्णय ले।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आज अनेकों महंगे पावर हाउस से बिजली की खरीद जारी है इसकी समीक्षा अबिलम्ब सरकार को करना चाहिए। नियामक आयोग इस बात पर बार बार चिंता जताता रहा है कि उत्पादन इकाइयों की फिक्स्ड कॉस्ट का बहुत बड़ा भार जनता पर पड़ रहा है जो 2023-24 में रुपया 10750 करोड़ के ऊपर होगा, जो अपने आप में चिंता का विषय होगा अभी जो वर्ष 2019-20 में रुपया 4797 करोड़ है।