राहुल के आरोप और प्रधानमंत्री का अंबानी की बेटी की शादी में ना जाना!
नवेद शिकोह
लखनऊ, 17 दिसम्बर 2018: न्यायालय ने जब राफेल पर आरोपों को खारिज किया तो लगा कि अब इस मुद्दे पर कांग्रेस बैकफुट पर आ जायेगी। लेकिन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के हौसले पस्त होने के बजाय और भी बुलंद होते जा रहे हैं। तब और सोने पर सुहागा हो गया जब राफेल मामले में सरकार के हलफनामे की त्रुटि मंजर-ए-आम पर आ गई।
राहुल गांधी की आक्रामकता का ये आलम है कि वो असंसदीय भाषा में कह रहे हैं – चौकीदार चोर है और उसने अंबानी को चोरी करायी।
उनकी ये आक्रामकता अब दबाये नहीं दब रही है। मीडिया और सोशल मीडिया से लेकर गली-मोहल्ले और नुक्कड़ों पर तेज होती राफेल की चर्चाओं से भाजपा सरकार काफी संजीदा और बचाव की मुद्रा में आ गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राहुल गांधी के हर हमले का जवाब देना शुरू कर दिया। अब भाजपा के रसूखदार नेताओं की एक फेहरिस्त तैयार हुई है जो आज से अलग-अलग राज्यों में राफेल पर कांग्रेस के आरोपों को बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके खारिज करेंगे।
इन सब बातों में सबसे काबिले गौर बात ये है कि राहुल के हमलों से प्रधानमंत्री के माथे पर शिकन साफ नजर आ रही है। उनके हर बयान में राफेल पर सफाई और कांग्रेस की पिछली सरकारों में रक्षा सौदों से जुड़े कथित आरोपों का जिक्र दोहराया जा रहा है। मोदी और अंबानी की मिलीभगत वाले आरोपों की चर्चा के बीच प्रधानमंत्री देश के सबसे चर्चित उद्योगपति अनिल अंबानी की पुत्री के विवाह समारोह में भी नहीं गये। अनुमान लगाया जा सकता हैं कि अंबानी की पुत्री के विवाह समारोह में प्रधानमंत्री की तस्वीरें राफेल की गर्मागर्म चर्चाओं को और भी हवा दे सकती थीं।
ज्ञातव्य हो कि प्रधानमंत्री देश के ज्यादातर सेलिब्रिटी के विवाह समारोह में शिरकत करते रहे हैं। अभी हाल ही में प्रियंका चोपड़ा और फिर दीपिका पादुकोण को बधाई और शुभकामनाएं देने पंहुचे थे। कहा जाता है कि उद्योगपति अंबानी परिवार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का घनिष्ठ रिश्ता है। पूरी उम्मीद थी कि अनिल अंबानी की पुत्री के विवाह समारोह में वो जरूर जायेंगे। किन्तु अंबानी और प्रधानमंत्री के रिश्तों से जुड़े राफेल सौदे के विवाद की हलचलों के बीच इस विवाह समारोह में नरेंद्र जी का ना पंहुचना भी चर्चा का विषय बन गया।
इन तमाम पहलुओं को देखते हुए अब राफेल के जिन्न को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। राहुल गांधी ने जब से राफेल के चराग को रगड़ना शुरू किया है तब से इसके आगे देश के बड़े से बड़े मुद्दे धराशायी हो गये हैं। इधर चुनावी बेला में बहुत ही तेजी से परवान चढ़ने वाला राम मंदिर का मुद्दा भी राफेल की चर्चाओं के पहाड़ के नीचे दफ्न हो गया है।
इस जिन्न में कुछ तो है ! मोदी सरकार की तमाम बड़ी से बड़ी नाकामियों को छोड़कर कांग्रेस अध्यक्ष राफेल का ही हल्ला मचाने में डटे हैं। चौकीदार के लिए ना सिर्फ हल्की भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि अंबानी और चौकीदार की मिलीभगत में राफेल सौदे को बड़ा घोटाला साबित करने की जद्दोजहद में पसीना बहा रहे हैं।
राहुल के हमलों से बचने के लिए भाजपा भी काफी संजीदा और डिफेंसिव होने के हथकंडे अपनाने लगी है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह खुल कर राहुल के आरोपों का खंडन कर रहे हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बंद जबान में राफैल मुद्दे पर बचाव के मूड में दिखने लगे हैं।
न्यायालय द्वारा राफेल सौदे के आरोप खारिज करने के बाद मोदी सरकार को राहत मिली ही थी कि अदालत में राफेल सौदे की सफाई में सरकार द्वारा दिये गये हलफनामे की त्रुटि राफेल विमान को एक बार फिर सियासत के आसमान पर लैंड कराने लगी। राफेल पर तू-तुकार और ‘तू चोर.. नहीं तू चोर’ की राजनीति ने राम मंदिर के गर्मागर्म मुद्दे को दबा दिया है। राम भक्त भी राम मंदिर निर्माण की जिज्ञासा को भुलाकर कहने लगे हैं-हे राम ! इस देश का क्या होगा?