महाराष्ट्र घटनाक्रम में अजित की भूमिका ने अभिनेता अजीत का पुराना डायलॉग याद दिला दिया, कौन सिद्धांत निभा रहा था जो भतीजा अजित भी निभाता
नवेद शिकोह
अजित पवार ने अपने चाचा के साथ भी बेवफाई की जबकि इस हाई वोल्टेज ड्रामे में हर पार्टी ने अपने अपने सिद्धांतों, विचारधाराओं और मतदाताओं के साथ बेवफाई की है।
शुरु करते हैं भ्रष्टाचार को मिटा देने का दावा करने वाली पार्टी भाजपा से-
भाजपा ने सरकार बनाने की हवस पूरी करने के लिए उस अजीत पवार का सहारा लिया जिसपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप दोहराती रही। अपने चुनाव प्रचार में भाजपा ने अजीत पवार को जेल भिजवाना की बात करी और बना दिया डिप्टी सीएम। फर्नांडिस ने कई बार कसमें खा खा कर कहा था कि सत्ता मिले ना मिले एंसीपी से हाथ नही मिलायेंगे।
अब आइये शिवसेना की बात करें:
ये हिन्दुत्व के खैरख्वाह होने के दावे के साथ भी वोट मांगते हैं। एनसीपी और कांग्रेस को हिन्दू विरोधी, राष्ट्रविरोधी और मुस्लिम तुष्टिकरण का जनक बताते हैं। साथ सरकर बनाने की कोशिशों के समय इन दोनों दलों की तमाम कमिया शिवसेना को नहीं दिखी। पुत्र को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाने के सपने दिखाने वाले उद्धव ठाकरे के चश्मे में शायद कांग्रेस सिर्फ हिन्दुवादी और मराठावादी दिखती होगी।
इसी तरस एनसीपी और कांग्रेस भी सत्ता के पीछे भागती.. घबराती और बदहवास दिखी। ये दोनों दल खुद की धर्मनिरपेक्षता भूल गये या शिवसेना की हिन्दुत्व की कट्टर छवि इन्हें याद नहीं रही।
अब जब महाराष्ट्र की कुर्सी वाली पिक्चर में सभी अजीत (खलनायक की भूमिका निभाने वाले अभिनेता अजीत) की भूमिका में दिखे तो अकेला अजित पवार को खलनायक (अजीत) कहना बेइमानी है।