प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा,.हाथरस कांड की तरह, महंत की संदिग्ध मौत के तथ्य छिपाने में जुटी योगी सरकार
लखनऊ, 21 सितम्बर 2021: कांग्रेस ने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध हालत में हुई मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट की डिवीज़न बेंच की निगरानी में सीबीआई से कराने की मांग की है। आज प्रदेश मुख्यालय पर आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य व पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सयुंक्त रूप से घटना पर आक्रोश व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि खुद को योगी कहने वाले सीएम के राज में अब तक 21 संतों की हत्या या संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। योगी आदित्यनाथ के शासन में उत्तर प्रदेश हत्या व जघन्यतम अपराधों का प्रदेश बन चुका है। एनसीआरबी के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत संत समाज के लिये ही नहीं देश के लिये भी दुखद है। इस घटना के तथ्यों को छुपाने का अपराध किसी कीमत में स्वीकार्य नहीं किया जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि बिना पोस्टमार्टम रिपोर्ट आये पुलिस ने इसे आत्महत्या क्यों, कैसे और किसके दबाव में करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की चिंता है कि किसी और साधु सन्यासी की हत्या न हो। योगी राज में धर्माचार्य भी सुरक्षित नहीं रह गये हैं।
उन्होंने कहा कि वायरल हो रहे एक वीडियो को भी जांच का हिस्सा बनाया जाए। महंत से घटना के एक दिन पूर्व मिलने वाले उपमुख्यमंत्री से क्या बात हुई, यह भी जांच का विषय होना चाहिए। अगर उन्होंने आत्महत्या की तो फिर ऐसी क्या विवशता थी।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि योगी राज दुशासन राज में तब्दील हो गई है। यहां वाई श्रेणी सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति भी सुरक्षित नहीं रह गये। जिस तरह यह दुखद घटना हुई है उससे देश मर्माहत है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि महंत जी के कमरे का दरवाजा खोलकर उनका शव किसके कहने पर बिना पुलिस बुलाये उतारा गया? योगी के शासन में किसी की जान सुरक्षित नहीं है। अपराध में देश में टॉप पर विराजमान उत्तरप्रदेश में साधु संतों की हत्या पर पर्दा डालने का पाप हो रहा है लेकिन कांग्रेस इस पाप को होने नहीं देगी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह आम चर्चा है कि महंत जी हस्ताक्षर करने में असमर्थ थे, फिर 7 पृष्ठों का सुसाइड नोट किसने लिखा? मठ की संपत्ति हड़पने का उच्चस्तर पर षड्यंत्र किसने किया? यदि सुसाइड नोट को ही सच मान लिया जाए तो उसमें तीन व्यक्तियों का नाम है, पर किसके इसारे एफआईआर में एक व्यक्ति को ही नामजद किया गया।