12 दिन के युद्ध में ईरान की रणनीति: पुरानी मिसाइलों से जवाब, सेज्जिल-1 और सेज्जिल-2 को रखा सुरक्षित
नई दिल्ली, 1 जुलाई : ईरान और इजराइल के बीच 12 दिन तक चले युद्ध के बाद, ईरान ने एक सनसनीखेज दावा किया है। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने कहा कि इस युद्ध में ईरान ने अपनी सैन्य क्षमता का केवल 5% हिस्सा इस्तेमाल किया, फिर भी इजराइल में भारी तबाही मचाने में कामयाब रहा। ईरान ने दावा किया कि उसने अपनी नवीनतम और सबसे घातक मिसाइलें, सेज्जिल-1 और सेज्जिल-2, इस युद्ध में उपयोग नहीं कीं, बल्कि पुरानी मिसाइलों और ड्रोनों के जरिए जवाबी कार्रवाई की। 13 जून 2025 को शुरू हुए इस युद्ध में इजराइल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जिसमें कई शीर्ष ईरानी कमांडर और वैज्ञानिक मारे गए। जवाब में, ईरान ने ‘ऑपरेशन सीवियर पनिशमेंट’ के तहत तेल अवीव और यरुशलम जैसे शहरों पर सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन दागे, जिससे इजराइल में व्यापक स्तर पर हवाई हमले के सायरन बजे और लाखों लोग राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हुए।
ईरान ने यह भी आरोप लगाया कि इजराइल के साथ-साथ अमेरिका ने उसके परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जिसके जवाब में ईरान ने कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर 6 मिसाइलें दागीं। हालांकि, युद्ध 24 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित युद्धविराम के साथ समाप्त हुआ।
ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराग़ची ने कहा, “हमने अपनी पूरी ताकत नहीं दिखाई। अगर इजराइल या अमेरिका ने फिर से आक्रामकता दिखाई, तो हमारा जवाब और भी कड़ा होगा।” दूसरी ओर, इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि इस युद्ध ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कई साल पीछे धकेल दिया है।
हालांकि, ईरान ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह सुरक्षित है और फोर्डो संवर्धन केंद्र पर काम फिर से शुरू हो गया है। यह युद्ध भले ही थम गया हो, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव अब भी बरकरार है, जिससे पश्चिम एशिया में शांति की उम्मीदें धूमिल नजर आ रही हैं।
ट्रम्प का दावा: ईरान-इजराइल युद्ध में ऐतिहासिक युद्धविराम, पर दोनों देशों को चेतावनी दी – “शांति बनाए रखें!”
उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान और इजराइल के बीच 12 दिन तक चले युद्ध को समाप्त करने का श्रेय लेते हुए दावा किया कि उनकी मध्यस्थता से दोनों देशों ने युद्धविराम स्वीकार किया। ट्रम्प ने इसे “ऐतिहासिक” करार देते हुए कहा कि अमेरिकी हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “तबाह” कर दिया, जिससे युद्ध समाप्त हुआ। हालांकि, उन्होंने दोनों देशों को चेतावनी दी कि युद्धविराम का उल्लंघन “गंभीर परिणाम” लाएगा।
ईरान और इजराइल ने मानी युद्धविराम की शर्तें, लेकिन तनाव बरकरार
13 जून 2025 को शुरू हुए इस युद्ध में इजराइल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जिसमें कई वरिष्ठ ईरानी कमांडर और वैज्ञानिक मारे गए। जवाब में, ईरान ने ‘ऑपरेशन सीवियर पनिशमेंट’ के तहत तेल अवीव और यरुशलम पर सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन दागे। युद्ध के दौरान ईरान ने कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर 6 मिसाइलें दागीं, जिसे ट्रम्प ने “कमजोर जवाब” करार दिया।
ट्रम्प ने 24 जून को कतर के अमीर के जरिए युद्धविराम की घोषणा की, लेकिन दोनों देशों ने एक-दूसरे पर उल्लंघन का आरोप लगाया। ट्रम्प ने विशेष रूप से इजराइल की आलोचना की, जब उसने युद्धविराम के बाद तेहरान के पास रडार साइट पर हमला किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “इजराइल, बम न गिराएं। यह बड़ा उल्लंघन है। अपने पायलटों को वापस बुलाएं!”
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने दावा किया कि युद्ध में केवल 5% सैन्य क्षमता का उपयोग हुआ, और उनका परमाणु कार्यक्रम सुरक्षित है। वहीं, इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान का परमाणु खतरा “कई साल पीछे धकेल दिया गया।”
ट्रम्प ने नाटो सम्मेलन में कहा, “यह बच्चों की लड़ाई थी। मैंने व्यापार और ताकत से युद्ध रोका।” हालांकि, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान के परमाणु ठिकानों को पूरी तरह नष्ट नहीं किया गया, जिसे ट्रम्प ने “गलत” बताया।
युद्धविराम के बावजूद, पश्चिम एशिया में तनाव बरकरार है। दोनों देशों ने शर्त रखी है कि दूसरा पक्ष उल्लंघन करेगा तो जवाबी कार्रवाई होगी। ट्रम्प ने कहा, “शांति का मौका है, लेकिन दोनों को समझदारी दिखानी होगी।”







