विधानसभा चुनाव में सक्रियता के बावजूद वोट प्रतिशत में आयी गिरावट के बाद ही निष्क्रिय हो गयी थी प्रियंका
लखनऊ, 29 जुलाई । 18 मार्च 2019 की वह तारिख याद करें, जब प्रियंका गांधी ने प्रयागराज के संगम तट से नाव की यात्रा बनारस तक शुरू की थी। उस समय ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस प्रदेश में पहले की अपेक्षा ज्यादा बेहतर करेगी। यात्रा में लोगों की भीड़ भी खूब देखने को मिली। मीडिया ने भी खूब सराहा लेकिन 2014 से एक फीसदी से ज्यादा नुकसान होने के साथ ही राहुल गांधी भी अपनी सीट हार गये। पूरे प्रदेश में सोनिया गांधी ही अपनी सीट जीत सकीं। इसके बाद भी प्रियंका की सक्रियता सोनभद्र से लेकर लखीमपुर तक बनी रही इसके बावजूद विधान चुनाव में करारी हार ने कांग्रेस का ही यूपी से मोह भंग कर दिया है।
कांग्रेस की प्रदेश में निष्क्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ढाई माह के लगभग हो गये, प्रदेश में काई पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त नहीं हुआ। पूरा प्रदेश बिना अध्यक्ष के चल रहा है। यही नहीं चुनाव बाद प्रियंका गांधी वाड्रा भी प्रदेश में निष्क्रिय हो गयीं। उनकी सक्रियता अब यहां देखने को नहीं मिल रही है। इससे पहले जब वे उप्र की प्रभारी बनायी गयी थीं तो सोनभद्र में गरीबों के जमीन पर कब्जे का मामला रहा हो या लखीमपुर में किसानों के गाड़ी से कुचलने का मामला, हर जगह सबसे पहले पहुंचती थीं।
लखीमपुर में तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ही पूरा आंदोलन की सक्रियता को ज्यादा दिन तक बनाये रखा। सोनिया गांधी खुद वहां पहुंचकर पूरा माहौल गर्म कर दिया। कई दिनों तक भाजपा बैकफुट पर दिखने लगी थी। उस समय ऐसा लग रहा था, कि लखीमपुर सहित कुछ हिस्सों में तो कांग्रेस अपनी सीट निकाल लेगी, लेकिन सब कुछ धरा का धरा रह गया और 2017 के विधानसभा चुनाव में 6.25 प्रतिशत वोट पाने वाली कांग्रेस 2.37 प्रतिशत पर सिमट गयी। यही नहीं पूरे प्रदेश में मात्र दो विधायक ही कांग्रेस के जीत पाये।
राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी का रूख देखकर लगता है कि उप्र से उनका मोह भंग हो गया है। इसका कारण भी है, विधानसभा चुनाव में कई मामलों में विपक्ष में सबसे ज्यादा सक्रिय प्रियंका दिख रही थीं, लेकिन उसका कोई नतीजा देखने को नहीं मिला। इससे ऐसा लगता है कि कांग्रेस का यूपी से मोह भंग हो गया है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता उमा शंकर पांडेय का कहना है कि जल्द ही यहां प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होगी। प्रक्रिया अंतिम दौर में चल रहा है। पूरी उम्मीद है कि अगस्त में अध्यक्ष का मनोनयन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि 60 प्रतिशत तक पीसीसी मेंबर बन जाने के बाद अध्यक्ष के मनोनयन का विधान है। लगभग अब यह प्रक्रिया अंतिम दौर में है। – उपेंद्र राय