नवेद शिकोह
इंसान से इंसान को जोड़कर इंसानियत को ज़िन्दा रखने वाली कमाल की सहाफत हयात (ज़िन्दगी) की मोहताज नहीं होती। मरहूम कमाल ख़ान की क़ब्र भी समाज को जोड़ने वाली ख़बरें बयां करती रहती है। जब वो इस दुनिया में थे तो पहचान के मोहताज नहीं थे और अब उनकी क़ब्र भी किसी पहचान की मोहताज नहीं है। हर कब्र की पहचान उपसर लगी नेमप्लेट (तख्ती) से होती है लेकिन कमाल साहब की क़ब्र में कोई तख्ती नहीं लगी है, दूर से ही जाना जा सकता है कि हज़ारों क़ब्रों की भूल-भुलैयां में ये क़ब्र कमाल साहब की है। लगता है कि इस क़बर से कोई बड़ी शाइस्तगी से ख़बर सुना रहा हो।
इस क़ब्र पर एक्सक्लूसिव ख़बरें दिखती हैं। पत्रकारिता के कबीर कहे जाने वाले कमाल साहब की क़ब्र पर कबीर दिखते भी हैं। मसलन-दुनियाभर के हिन्दू भाई जब अपना सबसे बड़ा पर्व होली मना रहे थे तो होली के दिन एक दीपक कमाल की क़ब्र पर दीपक जलाकर शब-ए-बरात की रस्म अदा करता देखा गया। मैं शहर के जाने-पहचाने नौजवान दीपक कबीर की बात कर रहा हूं।
होली के रंगों से भीगे दिन का सूरज डूबा था और शाम होते ही शब-बरात की रौशनियां जगमगाने लगीं थीं। दुआएं मग़फिरत (पितरों की आत्मा की शान्ति की दुआ) के लिए आबाद शहर के क़ब्रिस्तानों में लोगों का हुजूम बढ़ रहा था। होली के रंगों से क़ब्रिस्तानों की गहमागहमी की तरफ बढ़ते ही महसूस हुआ कि दो मजहबों के दो अलग-अलग त्योहारों की रौनकों पर आज टीवी वोलों ने कोई स्टोरी नहीं की। काश कमाल ख़ान ज़िन्दा होते तो शायद होली के दिन और शब-ए-बरात की रात का मिलन कराती स्टोरी एनडीटीवी पर देखने की मिलती। आज के मौके पर कमाल साहब हिन्दुस्तान की उस संस्कृति के दर्शन ज़रूर कराते जो संस्कृति तमाम फूलों से महकती फुलवारी जैसी है।
इस एहसास के दौरान लखनऊ के ऐशबाग स्थित मलका जहां की कर्बला के छोटे हज़रत के रौज़े के गेट से सटी कमाल ख़ान साहब की क़ब्र तक पंहुच गया। आम तौर से हर क़ब्र में शिनाख्त के लिए नेम प्लेट लगी होती है। क़ब्रों के जमघट में इस क़ब्र में नेम प्लेट नहीं लगी थी। मुझे लगा कि कंफर्म कर लूं। शुक्रवार शब-ए-बरात के दिन क़रीब रात नौ बजे कोई साहब एक बालक के साथ इस क़ब्र पर सूरेहफातेहा पढ़ रहे थे। मैंने पूछा कि इस क़ब्र की पहचान कराने वाली तख्ती (नेम प्लेट) नहीं लगी है, ये क़ब्र कमाल साहब की ही है न ! उस शख्स ने जवाब दिया- जी हां, उनकी ही है। उनकी क़ब्र भी किसी पहचान की मोहताज नहीं है।