कविता: उपेन्द्र नाथ राय ‘घुमंतू’
उर्जा, साहस, प्रेम का प्रतीक भैया लगावत ह ईं ललका रंग।
होली के दिन तू ही दे द बचनिया, छोड़ब ना कबहुं हमरा संग।।
उत्साह, आशावाद क प्रतीक ह नारंगी।
बनल रही ह जिंदगी भर तू हमार संगी।।
खुशी, आशा अऊरी ज्ञान क प्रतीक ह पियरका रंग।
ऊपर से भीतर घुस गयल बा दो गिलास भंग।।
उर्जा, साहस, प्रेम का प्रतीक भैया लगावत ह ईं ललका रंग।
होली के दिन तू ही दे द बचनिया, छोड़ब ना कबहुं हमरा संग।।
हरिअर हरिअर रंगवा से रंगल बा सरेहिया।
प्रकृति, विकास क बतावतिया डहरिया।।
शांति अउरी विश्वास क संदेश दे ता निलका रंग।
भइया हो, देखिह बदले ना ज़िन्दगी चले के ढंग।।
उर्जा, साहस, प्रेम का प्रतीक भैया लगावत ह ईं ललका रंग।
होली के दिन तू ही दे द बचनिया, छोड़ब ना कबहुं हमरा संग।।
शक्ति और गोपनीयता बतावता करियवा रंगवा।
गजब ढा गई ल बा हम दोनों मित्रन क संगवा।।
शुद्धता क प्रतीक हम लगाई देहनी सफेदका रंग।
मित्र, बिपती में कबहुं ना छोड़ी ह हमरा संग।।
उर्जा, साहस, प्रेम का प्रतीक भैया लगावत ह ईं ललका रंग।
होली के दिन तू ही दे द बचनिया, छोड़ब ना कबहुं हमरा संग।।