- अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान तथा निसर्ग हेर्ब्ज़ करेगा सहयोग
- नैदानिक परीक्षणों के परिणाम नवंबर के अंत तक आने की उम्मीद
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली ने ई.एस्.आई.सी. मेडिकल काॅलेज और अस्पताल, फरीदाबाद में एक डबल-ब्लाईड रैंडमाइज्ड, प्लेसिबो नियंत्रित परीक्षण करने के लिए निसर्ग हेर्ब्ज़ की मूल कंपनी निसर्ग बायोटेक प्राईवेट लिमिटेड के साथ अपने सहयोग की घोषणा की है।
प्रो. डाॅ. तनुजा नेसरी, एम.डी. पी.एच.डी., ए.आई.आई.ए. के निर्देशक फरीदाबाद मुख्य जांचकर्ता और डाॅ असीम सेन, अध्यक्ष, ई.एस.आई.सी. मेडिकल काॅलेज और अस्पताल, फरीदाबाद सह जांचकर्ता के तौर पर, 6 अलग डाॅक्टरों के दल के साथ जो की ए.आई.आई.ए. और ई.एस्.आई.सी. से है, मिलकर जांच में शामिल होगे।
निसर्ग पहली भारतीय आयुर्वेदिक कंपनी है, जो की ए.आई.आई.ए. के साथ मिलकर अपने मालिकाना नीम एक्स्ट्क्ट निर्माण का कोविड-19 के लिए प्रतिबंधक के तौर पर 250 लोगों में संचालन करेगी. इस संशोधन का नाम “Prophylaxis with Neem Capsule” ऐसा है।
रोगियों के संपर्क में आने वाले विषयों में मुख्य रूप से नीम कैप्सुल के निवारक प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
इस मानव परीक्षण के लिए भर्ती का पहला चरण 7 अगस्त से शुरू हो चुका है, जिसमें फार्मूला का परीक्षण किया जाएगा और 250 व्यक्तियों पर अध्यन किया जाएगा और यह एक डबल-ब्लाइंडट्यल होगा। जहां 125 मरीज अपने मालिकाना नीम कैप्सूल का उपयोग करेंगे, जब कि अन्य 125 लोग 28 दिनों के लिए खाली कैप्सूल लेंगे. दवा 28 दिनों के लिए लेना और 28 दिनों के अवलोकन अवधि के बाद प्रशासित की जाएगी और खाली कैप्सूल की तुलना में नीम कैप्सूल के प्रभाव की जांच की जाएगी. डबल-ब्लाइंड का मतलब न तो डाॅक्टर को पता है और न हीमरीज को पता है कि वह नीम कैप्सूल ले रहा है. तो नीम के प्रभाव के मूल्यांकन में किसी भी पूर्वाग्रह की संभावना नही होगी।
इस विषय में बोलते हुए, निसर्ग बायोटेक प्राईवेट लिमिटेड के संस्थापक और सीईओ गिरीश सोमणजी ने कहा कि ” आर्युवेदिक फॉर्मूले के माध्यम से क्लिनिकल परीक्षण करने वाली कुछ बडी कंपनीयां है, लेकिन निसर्ग भारत के शीर्ष आयुर्वेदिक संस्थान के सहयोग से अपने स्वयं के निधियों के साथ इस परीक्षण का संचालन करने वाली पहली निर्माता है. आयुर्वेद अस्पताल और संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान को आधुनिक तरीके से आयुर्वेद पर शोध करने के लिए जाना जाता है। हमारा नीम निर्माण निवारक उपयोग में एक प्रभावी एंटीवायरल साबित होगा, और हम असेमानक दवा के रूप में पेश करने के लिए और आगे के शोध के लिए निधि अनिवेश देख रहे है।“
श्री. सोमणजी ने कहा कि, ”हम डाॅ. प्रो. तनुजा केसरी एम.डी. पी.एच.डी. निर्देशक, प्रमुख और ए.आई.आई.ए. नई दिल्ली में प्रोफेसर के नेतृत्व में इस अध्ययन को शुरू करने के लिए उत्साहीत है। डाॅ. नेसरी जी को आयुर्वेदिक और आधुनिक अनुसंधान में व्यापक अनुभव है और उनके इसी अनुभव से मूल्यांकन में बहुत मदद मिलेगी। “
डाॅ. मोहिनी बर्डे एम.डी. और मेडिकल डायरेक्टर ने साझा किए गए परीक्षण के अनुसार” नीम एक प्रसि़द्ध एंटीवायरल पौंधा है जिसका उपयोग आयुर्वेद में बुखार, दाद वायरस जैसे विभिन्न रोगों के लिए किया जाता है और यह मुक्तकण परिमार्जन गुणों के कारण रक्त को शुध्द करने के लिए जाना जाता है। विभिन्न रोंगों के प्रोफिलैक्सिस में आयुर्वेद का बहुत बडा योगदान है।
उन्होंने कहा कि नीम निर्माण का चयन करने का औचित्य पूर्व नैदानिक अध्ययनों में अन्टी फ्लॅमेटरी, एंटीवायरल और एंटीआक्सिडंट प्रभावों के साथ-साथ आणविक डाॅकिंग अध्ययनों पर आधारीत है जिसकी वजह से हम इस अध्ययन को शुरू करने के लिए उत्साहीत है क्योंकी ई.एस्.आई.सी. अस्पताल फरीदाबद में फ्रंटलाईन मेडिकल और नाॅन मेडिक्ल स्टाफ कोविड19 की रोकथाम के लिए इसके नैदानिक प्रभाव का आकलन करने के लिए निसर्ग हेर्ब्ज़ द्वारा एक मानकी कृतअर्क के साथ, ये संशोधन शुरू हो रहा है। इसी नीमअर्क के आधारीत यु.एस. के एक कैंसर अनुसंधान केंद्र युनिव्हसिटी आफ टेक्साससैन एंटोनियोमें इसका भी परिक्षण हो रहा है। अगर सफलता मिले तो ये एक किफायती उपचार विकल्प हो सकता है।