गौतम चक्रवर्ती
भारत में एक लम्बे समय से मनोरंजन के संसाधनों में सबसे पहला नाम हिंदी सिनेमा का लिया जाता है। हम यहां आपको बता दें कि भारतीय सिनेमा जगत की शुरुआत वर्ष1913 से मानी जाती है, वहीं भारत में बनी सबसे पहली फिल्म जिसका नाम “राजा हरिश्चंद्र” था जो एक मूक फिल्म थी। इस फिल्म के निर्माता, निदेशक दादासाहब फालके थे। दादा साहब केवल निर्माता नहीं थे, बल्कि निर्देशक, लेखक, कैमरामैन, संपादक, मेकअप कलाकार और कला निर्देशक भी थे, और उन्होंने वर्ष1913 से वर्ष1918 के मध्य 23 फिल्मों का निर्माण किया।
वर्ष1920 के दशक की शुरुआत में कई नई फिल्म निर्माता कंपनियां उभरकर आई। वर्ष 2020 के दशक में महाभारत और रामायण जैसी पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्यों एवम घटनाओं पर आधारित फिल्मों का बोलबाला रहा, लेकिन भारतीय दर्शकों ने हॉलीवुड की फिल्मों, विशेष रूप से एक्शन फिल्मों को अधिक पसंद किया।
वर्ष1950 से वर्ष1960 तक भारतीय सिनेमा जगत के इतिहास का स्वर्णिम युग कहा जा सकता है, क्योंकि इस दौरान राज कपूर, गुरु दत्त, दिलीप कुमार, मीना कुमारी, मधुबाला और नरगिस जैसे महान कलाकारों ने सिनेमा जगत में पदार्पण कर नई रौशनी बिखेर कर सबको चकाचौंध कर दिया। इसके पश्चात सिनेमा जगत में बोलती फिल्मों के दौर की शुरुआत हुई भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ जो वर्ष1931 में रिलीज हुई ।
इस दौर में बनाई गई सभी फिल्मों का निर्माण ब्लैक एंड व्हाइट में हुआ। सिनेमा जगत का यह वो समय था जब लोग बहुत उत्साह पूर्वक और चाव से ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों को भी देखा करते थे। हालांकि, इस समय के भारतीय फिल्म बनाने वाले लोग बखूबी यह जानते थे कि ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों में भी रंगों के लिए स्लेटी रंग को उसके परछाई के रूप में किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ फिल्मों में स्लेटी रंग के परछाइयों को अभिव्यंजक रूप से इस्तेमाल किया जाता था। इसी दौरान एक समय ऐसा भी आया जब हिंदी सिनेमा में रंग भरने की कोशिशें की जाने लगीं।
मूक एवम बोलती फिल्मों के बाद हिंदी सिनेमा जगत का वह समय भी आया, जब भारत में रंगीन फिल्मों का निर्माण होना शुरू हो गया। क्या आप को पता हैं कि भारत की पहली रंगीन फिल्म कौनसी थी? यहां आपको बता दें कि वर्ष1937 में मोती जी. गिदवानी द्वारा ‘किसान कन्या’ नाम से एक रंगीन फिल्म का निर्माण किया गया था जिस फिल्म का निर्देशन भी उन्होंने ही किया था और इसी फिल्म के माध्यम से भारतीय सिनेमा जगत में रंगीन फिल्मो के बनने का सिलसिला शुरू होने के साथ ही साथ इस फिल्म को प्रथम भारतीय रंगीन फिल्म होने का गौरव प्राप्त हुआ।
फिल्मों की लोकप्रियता के विषय में आपने और हमने अक्सर ‘ब्लॉकबस्टर’ शब्द का प्रयोग होते देखा सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है कि यह शब्द कहां से आया है?
“ब्लॉकबस्टर” दो शब्दों से मिल कर बना है जिसमे पहला ‘ब्लॉक’ और दूसरा ‘बस्ट’ है। पहली बार इसका प्रयोग बड़े धमाकेदार ढंग से प्रस्तुत किया गया था जिसकी चपेट में बहुत से लोग आए हों। लेकिन अब लोकप्रिय और सफल फिल्मों के लिए ब्लाकबस्टर शब्द का उपयोग किया जाता है। इसी तरह हिंदी सिनेमा की कई ब्लॉकबस्टर फिल्में भी हैं।
आजकल हम और आप अक्सर हॉलीवुड और बॉलीवुड जैसे नाम सुनते रहते हैं क्या आपको पता है कि बॉलीवुड और हॉलीवुड किसे कहते हैं? या यह क्या है? आइए हम जानते हैं।
दरअसल हॉलीवुड एक छोटी सी जगह हुआ करती थी जिसे आगे चल कर लॉस एंजेलिस शहर में विलय कर दिया गया था। उसके बाद से अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री का नाम अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत के लॉस एंजेलिस शहर के मध्यवर्ती क्षेत्र में स्थित हॉलीवुड जिले के नाम पर रख दिया गया।
हॉलीवुड से ही बाकी सभी फिल्म इंडस्ट्री के भी नाम रखे गए हैं। जिसमें बॉलीवुड, टॉलीवुड, कॉलीवुड, लॉलीवुड, सेंडलवुड इत्यादि जैसे है। आइए आपको यहां यह बताते चलें कि किस जगह की फिल्म इंडस्ट्री को किस नाम से जाना जाता है?
बॉलीवुड नाम जो आज कल सभी लोगों के अलावा बच्चों तक के मुंह से यह नाम हमे सुनने को मिल जायेंगे है। जैसा हमें यह पता है कि हिन्दी सिनेमा का मुख्य गढ़ मुंबई या जो पहले बॉम्बे के नाम से जाना जाता था, इसलिए हिंदी सिनेमा इंडस्ट्री का नाम ‘बॉलीवुड’ पड़ा गया।
कॉलीवुड- यह नाम तमिल सिनेमा के लिए प्रयोग किया जाता है। इस नाम को तमिल फिल्म इंडस्ट्री के लिए प्रयोग किया जाता है।
सेंडलवुड- कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के लिए इस नाम का प्रयोग किया जाता है। कर्नाटक की कन्नड़ फिल्मी इंडस्ट्री को सेंडलवुड के नाम से जाना जाता है।
लॉलीवुड- भारत के विभाजन के बाद से पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री जो लाहौर में स्थित है उसके आधार पर पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री को लॉलीवुड के नाम से जाना जाता है। वैसे यह एक बहुत ही पुरानी फिल्म इंडस्ट्री है। यहां पर पंजाबी और उर्दू भाषा में फिल्में बनाई जाती है।
टॉलीवुड- ये तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री का नाम है। वहीं पर इससे इतना पहले इसे वेस्ट बंगाल यानी बंगला सिनेमा के लिए उपयोग किया जाता था।