अमेज़न प्राइम वीडियो की लोकप्रिय वेब सीरीज ‘पंचायत’ के चौथे सीजन ने 24 जून 2025 को रिलीज के साथ ही दर्शकों का दिल फिर से जीत लिया है। इस सीजन में फुलेरा गांव की सादगी और ग्रामीण जीवन की कहानी एक बार फिर दर्शकों को बांधे रख रही है। इस बीच, मध्य प्रदेश के जबलपुर के मदन महल निवासी संविका जाटव ने अपने किरदार रिंकी के जरिए दर्शकों के बीच खासी चर्चा बटोरी है। संविका, जो एडवोकेट के.एल. जाटव और श्रीमती रजनी जाटव की पुत्री हैं, अपने शानदार अभिनय से न केवल प्रशंसकों का दिल जीत रही हैं, बल्कि दलित समाज की प्रतिभा को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रही हैं।
रिंकी के किरदार में संविका की चमक
‘पंचायत’ सीरीज में संविका, मंजू देवी (नीना गुप्ता) और प्रधान जी (रघुबीर यादव) की बेटी रिंकी की भूमिका में नजर आती हैं। इस सीजन में रिंकी और सचिव जी (जितेंद्र कुमार) की प्रेम कहानी को और गहराई दी गई है, जो दर्शकों को रोमांस का एक प्यारा सा स्वाद दे रही है। संविका का सहज और स्वाभाविक अभिनय रिंकी के किरदार को जीवंत बनाता है, जिसे दर्शकों और समीक्षकों ने खूब सराहा है। नवभारत टाइम्स की समीक्षा में कहा गया है कि संविका ने रिंकी की भूमिका के साथ पूरा न्याय किया है, हालांकि कुछ समीक्षकों का मानना है कि उनके किरदार को और स्क्रीन टाइम मिलना चाहिए था।
संविका की यात्रा: इंजीनियरिंग से अभिनय तक
संविका, जिनका असली नाम पूजा सिंह है, ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी और बेंगलुरु में एक कंपनी में नौकरी भी की। लेकिन अभिनय के प्रति उनके जुनून ने उन्हें मुंबई का रुख करने को प्रेरित किया। ‘पंचायत’ के पहले सीजन से ही उन्होंने रिंकी के किरदार को बखूबी निभाया और सीजन 2 और 3 में भी उनकी मौजूदगी ने दर्शकों का ध्यान खींचा। अब सीजन 4 में उनका अभिनय और परिपक्व हुआ है, जिसकी चर्चा सोशल मीडिया पर भी खूब हो रही है। एक X पोस्ट में यूजर @priyanshu__63 ने लिखा, “संविका जाटव अपने अभिनय कौशल की वजह से काफी चर्चा में हैं। जातिवाद की बेड़ियों में बांधकर हमारी प्रतिभाओं को खत्म किया गया, अन्यथा आज देश के सभी क्षेत्रों में दलित समाज प्रतिनिधित्व करता नजर आता।”
जातिवाद पर चर्चा और दलित प्रतिनिधित्व
संविका के अभिनय ने न केवल मनोरंजन जगत में उनकी पहचान बनाई, बल्कि दलित समाज के प्रतिनिधित्व को लेकर भी एक सकारात्मक संदेश दिया है। X पर कई पोस्ट्स में उनकी प्रशंसा की गई, जिसमें यूजर @ajaymeena_01 ने कहा, “जातिवाद ने प्रतिभाओं को दबाया, वरना दलित समाज हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ता। संविका जैसे कलाकार साबित करते हैं कि प्रतिभा किसी बेड़ी को नहीं मानती।” इसी तरह, @Sk90official ने लिखा, “संविधान ने अधिकार दिए, और हमारी बेटियां उन्हें अवसर में बदल रही हैं।” ये पोस्ट्स दर्शाते हैं कि संविका की सफलता दलित समुदाय के लिए गर्व का विषय बन रही है और जातिवाद के खिलाफ एक प्रेरक कहानी पेश कर रही है।
आपकी प्रतिक्रियाओं ने दिल जीत लिया : संविका जाटव
संविका जाटव के X अकाउंट (@Sanvikajatav) पर उन्होंने 27 जून 2025 को ‘पंचायत 4’ में अपने किरदार रिंकी और दर्शकों के प्यार के बारे में लिखा :
“फुलेरा की रिंकी को आप सबका इतना प्यार! #Panchayat4 में आपकी प्रतिक्रियाओं ने दिल जीत लिया। यह यात्रा मेरे लिए खास है, और आपका समर्थन मेरी ताकत। जय संविधान! #TeamPanchayat”
इस पोस्ट में संविका ने न केवल अपने किरदार और सीरीज के प्रति उत्साह जताया, बल्कि “जय संविधान” के नारे के साथ सामाजिक जागरूकता और अपनी जड़ों के प्रति सम्मान भी व्यक्त किया। यह टिप्पणी उनके प्रशंसकों के बीच खासी लोकप्रिय हुई, जिसमें कई यूजर्स ने उनके अभिनय और दलित समाज की प्रतिभा को सराहा।
@jitu_rajoriya ने जवाब में लिखा, “संविका, तुमने रिंकी को जिंदा कर दिया। दलित समाज को तुम पर गर्व है!”
यह टिप्पणी संविका की सादगी, उनके किरदार के प्रति समर्पण, और सामाजिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
पंचायत 4 में रिंकी का किरदार कहानी को भावनात्मक गहराई देता है
‘पंचायत 4’ में ग्राम पंचायत चुनाव की पृष्ठभूमि में रिंकी का किरदार कहानी को भावनात्मक गहराई देता है। समीक्षकों ने जहां सीरीज की सादगी और किरदारों की गहराई की तारीफ की, वहीं कुछ ने कहा कि रिंकी जैसे किरदारों को और स्क्रीन टाइम मिलना चाहिए था। फिर भी, संविका का अभिनय दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। X पर @jitu_rajoriya ने संविका और जितेंद्र कुमार को “समाज के बेहतरीन अभिनेता/अभिनेत्री” करार देते हुए उनकी तारीफ की।
फिलहाल संविका जाटव ने ‘पंचायत 4’ में रिंकी के किरदार के जरिए एक बार फिर साबित कर दिया कि प्रतिभा किसी सामाजिक बाधा को नहीं मानती। उनकी यात्रा ”इंजीनियरिंग से लेकर सिनेमा जगत तक” न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि दलित समाज की नई पीढ़ी हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही है। यह खबर न सिर्फ संविका की सफलता का उत्सव है, बल्कि एक उम्मीद की किरण है जो यह बताती है कि समान अवसर और मेहनत से कोई भी अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है।







