बेटी की गुमशुदगी दर्ज कराने के लिए काटे थाने के चक्कर, एक महीने बाद दर्ज की गयी एफआईआर, अनहोनी को होनी कर दिया पुलिस ने, अब नहीं रही जीने की आस, कोई तो कप्तान साहब को बता दे माल पुलिस की करतूत
लखनऊ 29 सितंबर । साहब! मेरी बेटी 12 अगस्त को घर से दवा लेने निकली थी, वापस नहीं लौटी तो माल थाने पर सूचना दी। तहरीर लेने के बाद भी आप के मातहतों ने मुझे एक महीने तक दौड़ाया। 22 सितम्बर को एफआईआर दर्ज की। अनहोनी की आशंका जतायी थी, फिर भी होनी हो गयी, वो भी पुलिस की लापरवाही से। बच्ची का नरकंकाल मिला। कपड़े के आधार पर पहचान भी कर ली, फिर भी पुलिस के कान पर जू नहीं रेंगी। उसने मामले को अभी तक हत्या में तरमीम नहीं किया। हमने भी थाने जाना बंद कर दिया। हो सके तो आप ही हमारी मद्द करें। वैसे मेरी आंखे तो पथरा गयीं हैं।
ये बोल किसी और के नहीं एक मां-बाप के हैं। जिनकी बेटी लापता हुयी। खूब तलाशा, फिर भी सुराग नहीं लगा। पुलिस पर भरोसा था कि वो बेटी को तलाशकर ला देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब बेटी भी इस दुनिया में नहीं रही, वो भी पुलिस की लापरवाही के चलते। अगर गुमशुदगी दर्ज कर माल पुलिस मामले को गंभीरता से लिए होती तो दनौर गांव निवासी किसान राजेन्द्र सिंह पत्नी के साथ इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकरे नहीं खाता। पुलिस से उम्मीद टूटने के बाद उसने जनसंदेश टाइम्स से सम्पर्क कर एसएसपी दीपक कुमार से न्याय की गुहार लगायी है। किसान ने हमारे माल प्रतिनिधि को जो बताया वो चौकाने वाला था। उसका कहना था कि 12 अगस्त को उनकी 19 वर्षीय बेटी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र माल दवा लेने गयी थी। वापस नहीं लौटी तो पीड़ित परिवार उसे तलाशता रहा। बाद में उन्होंने 13 अगस्त को थाने जाकर बेटी की गुमशुदगी दर्ज करानी चाही तो उसे पुलिसकर्मियों ने यह कहकर थाने से चलता कर दिया कि तुम तलाशते रहो, हम भी प्रयास करेंगे। इसी तरह से एक महीना गुजर गया। फिर भी उसने गुमशुदगी दर्ज नहीं की। 18 सितम्बर को पीड़ित परिवार को दनौर गांव के बीच बहने वाले नाले में एक नरकंकाल मिलने की जानकारी मिली। उसने वहां जाकर झाड़ियों में पड़े कपड़ों से नरकंकाल बेटी का होने की पुष्टि की। मां इस बात की जानकारी देने थाने गयी तो पुलिस ने मामले को अनसुना कर दिया। इस बाबत अधिकारियों को मीडिया के जरिए पता चला तो उनकी भी आंख में माल पुलिस ने धूल झोंककर गुमशुदगी लिखे होने की फर्जी जानकारी दे दी। उधर मामले ने तूल पकड़ा तो हमारे प्रतिनिधि ने इस बात की तसदीक की तो पता चला कि गुमशुदगी किसान की बेटी की बेलगाम पुलिस ने 22 सितम्बर को दर्ज की है लेकिन मामला हत्या में तरमीम नहीं किया, जबकि युवती की मां इस सिलसिले में तहरीर भी देकर आयी थी।