- नियामक आयोग अध्यक्ष व उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष की बिजली दर बढोत्तरी में प्रस्तावित पावर परचेज के मामले में लम्बी बैठक
- उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने आयोग के सामने उठाया मुददा कहा बिजली कम्पनियाॅ बिजली खरीद के सही आंकडे न पेश करके प्रदेश की जनता को कर रही गुमराह
- उपभोक्ता परिषद का बडा आरोप, कहा आयोग द्वारा रिलायंस रोजा की दरें कम करने के बाद भी आज भी पावर कारपोरेशन अपने प्रस्ताव में ज्यादा दिखाकर जनता पर डाल रहा भार।
- उपभोक्ता परिषद ने कहा कि रिलायंस रोजा की फिक्सड कास्ट में रू0 174 करोड क्यों दिखाया गया अधिक? इसकी हो उच्च स्तरीय जाॅंच
- आयोग अध्यक्ष का उपभोक्ता परिषद को आश्वासन पावर कारपोरेशन को पावर परचेज के सही आंकउे आम जनता के सामने करना होगा सार्वजनिक जिससे दरों पर जनता दे सके आपत्ति।
- विद्युत उत्पादन गृहों की फिक्सड चार्ज की दरों में एकमुश्त 4 प्रतिशत आंकलित कर क्यों निकाली गयी दरें
लखनऊ, 13 सितम्बर: प्रदेश की बिजली कम्पनियों द्वारा किस प्रकार मनमाने तरीके से बिजली खरीद के आंकडे पेश करके गैप ज्यादा दिखाकर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में व्यापक बढोत्तरी का प्रस्ताव दिया गया। इसका खुलासा आज उ0 प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग अध्यक्ष श्री एस के अग्रवाल से मिल कर उनके समक्ष किया। उपभोक्ता परिषद ने आयोग अध्यक्ष के समक्ष यह मुददा उठाया कि बिजली कम्पनियों द्वारा जब मल्टी ईयर टैरिफ का प्रस्ताव दिया गया उसमें वर्ष 2017-18 के लिये कुल 128908 मिलियन यूनिट बिजली खरीद की आवश्यकता बताते हुए उसकी कुल लागत 52919 करोड व कुल औसत लागत दर रू0 4.11 प्रस्तावित की। जब उपभोक्ता परिषद ने आयोग के सामने कडी आपत्ति की तो फिर आयोग आदेश के बाद उसमें लगभग 675 करोड सी कमी करते हुए बिजली की कुल लागत 52244 करोड बतायी गयी और उसकी प्रस्तावित औसत लागत रू0 4.05 प्रति यूनिट पुनः आयेाग को भेजी गयी। लेकिन अभी भी यह पूरी तरह गलत है, और इसमें संशोधन की मांग उठायी है।
नियामक आयोग अध्यक्ष श्री एस के अग्रवाल ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष के साथ लम्बी बैठक के बाद उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को यह आश्वासन दिया कि आज ही पावर कारपोरेशन के अधिकारियों को पावर परचेज के मामले में आयोग में बुलाया गया है। बिजली कम्पनियों को सही बिजली खरीद का पूरा ब्यौरा आयोग को देना होगा। और जिसे बिजली कम्पनियों को आम जनता के लिये पावर परचेज के आंकडे सार्वजनिक भी करना हेागा। जिससे बिजली दर पर आम जनता अपनी आपत्तियाॅं दे सके।
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता पिरिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली खरीद की औसत लागत में फिक्सड कास्ट व वैरिएबिल कास्ट शामिल होता है। यह सभी को पता है कि फिक्सड कास्ट उत्पादन गृहों की हर साल कम होती जाती है। ऐसे में पावर कारपोरेशन द्वारा विभिन्न बिजली कम्पनियों से खरीदी जाने वाली बिजली के फिक्सड कास्ट में क्यों एक साथ 4 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि मान कर दरें दी गयीं। इस प्रकार यह कहना पूरी तरह उचित होगा कि बिजली कम्पनियों ने फिक्सड कास्ट के मद में लगभग 700 करोड रू0 अधिक प्रस्तावित किया। जिससे गैप बढा इसी प्रकार सबसे बडा चैंकाने वाला मामला यह कि विगत दिनों आयोग द्वारा रिलायंस रोजा से खरीद की जाने वाली बिजली दर को तय कर दिया जिसमें रिलायंस की फिक्सड कास्ट वर्ष 2017-18 के लिये रू0 1.55 प्रति यूनिट तय की गयी है। उसके बावजून भी रिलायन्स रोजा की दोनों इकाइयों की फिक्सड कास्ट के मद में बिजली कम्पनियेां द्वारा रू 1.76 प्रति यूनिट के आधार पर फिक्सड कास्ट निकालते हुए कुल 1434 करोड रू0 प्रस्तावित किया गया। जबकि आयोग द्वारा जारी किये गये आदेश के अनुसार रिलायंस की दानों इकाईयों द्वारा प्रस्तावति कुल बिजली 8132 मिलियन यूनिट पर फिक्सड कास्ट की दरें केवल 1260 करोड प्रस्तावित किया जाना था यानि कि 174 करोड पावर कारपोरेशन द्वारा अधिक प्रस्तावित किया गया, जो अपने आप में गंभीर मामला है और उच्चस्तरीय जांच का विषय भी। सही तरीके से बिजली कम्पनियाॅं बिजली खरीद के आंकडे पेश करें तो स्वतः औसत खरीद दर रू0 4.05 प्रति यूनिट घट कर रू0 4 प्रति यूनिट के नीचे आ जायेगी। और बिजली खरीद की कुल लागत कम हो जायेगी।