- उपभोक्ता परिषद के एक जनहित प्रत्यावेदन पर आयोग ने पूर्व मे ही दिया था आदेश पहले कार्पोरेशन को निजीकरण/फ्रेन्चाईजीकरण से होने वाले लाभ व चयन का आधार आयोग को बताना होगा तभी भविष्य में इस प्रकार की कार्यवाही हो सकती है शुरू
- उपभोक्ता परिषद का बड़ा आरोप आयोग द्वारा जारी पूर्व आदेश की अवहेलना कर 7 सर्किल में निजीकरण की कार्यवाही शुरू करना गलत
लखनऊ, 05 फरवरी। बिजली कम्पनियों में 7 सर्किल उरई, इटावा, कनौज, रायबरेली, मऊ, बलिया, सराहनपुर का निजीकरण करने हेतु ‘एकीकृत सेवा प्रदाता’ (एन्टीग्रेटेड सर्विस प्रोवाइडर) के तहत शुरू की गयी कार्यवाही के विरोध में उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आज नियामक आयोग अध्यक्ष एसके अग्रवाल से मुलाकात कर लम्बी वार्ता कर एक लोक महत्व जनहित प्रत्यावेदन दाखिल किया उपभोक्ता परिषद ने आयोग अध्यक्ष के सामने पूर्व में जारी आयोग आदेश की प्रति रखते हुये इस पूरी प्रक्रिया को आयोग आदेश की अवहेलना मानते हुये पूरी कार्यवाही पर अविलम्ब रोक लगाने की मांग की है।
उपभोक्ता परिषद द्वारा दाखिल लोक महत्व जनहित प्रत्यावेदन पर आयोग अध्यक्ष ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को आश्वासन दिया पूरे मामले पर गहन परीक्षण कराया जायेगा और आयोग द्वारा उपभोक्ता हित में उचित निर्णय लिया जायेगा।
गौरतलब है कि उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा द्वारा उप्र में टोरेन्ट पावर को फ्रेन्चाईजी दिये जाने के बाद टोरेन्ट द्वारा उपभोक्ताओं का उत्पीड़न शुरू किये जाने के विरोध में उपभोक्ता परिषद द्वारा 2 अप्रैल, 2013 को उप्र विद्युत नियामक आयोग में एक जनहित प्रत्यावेदन दाखिल कर बिजली कम्पनियों द्वारा बिना आयोग की अनुमति के निजीकरण व फ्रेन्चाईजीकरण की प्रक्रिया का विरोध किया गया था, जिस पर आयोग द्वारा दिनांक 02 अप्रैल, 2013 द्वारा अध्यक्ष उप्र पावर कार्पोरेशन लि. को यह निर्देश दिये गये थे कि भविष्य में जिन भी बिजली कम्पनियों में विद्युत क्षेत्रों मे निजीकरण व फ्रेन्चाइजीकरण की भावी कार्य योजना है उससे विद्युत उपभोक्ताओं को भविष्य में क्या लाभ होगा? एवं निजीकरण व फ्रेन्चाइजीकरण हेतु चयन का मुख्य आधार क्या है? से आयोग को अवगत कराया जाये, लेकिन आयोग को आजतक इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं अवगत कराया गया।
इसी बीच वर्ष 2014 में गाजीयाबाद, वाराणसी व मेरठ नगरों में पीपीपी माडल के तहत निजीकरण प्रक्रिया को लागू करने के लिये कन्सलटेन्ट चयन की प्रक्रिया चालू हूई जिस पर उपभोक्ता परिषद द्वारा 22 सितम्बर, 2014 को आयोग के समक्ष अध्यक्ष पावर कर्पोरेशन के खिलाफ विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत इसलिये कार्यवाही की मांग की गई थी क्योंकि आयोग द्वारा 02 अप्रैल, 2013 में जारी निर्देश का पावर कार्पोरेशन द्वारा बिना जवाब दिये निजीकरण के तहत पीपीपी माॅडल हेतु प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी जिस पर आयोग द्वारा दिनांक 26 सितम्बर, 2014 द्वारा पावर कार्पोरेशन अध्यक्ष के खिलाफ विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 142 विषयक पत्र कार्यवाही शुरू करने हेतु पावर कार्पोरेशन को भेजा गया जिस पर दिनांक 07 नवम्बर, 2014 को पावर कार्पोरेशन के तत्कालीन प्रबन्ध निदेशक, श्री एपी मिश्र द्वारा आयोग को एक विस्तृत जवाब देते हुये यह अनुरोध किया गया कि उपभोक्ता परिषद द्वारा पावर कार्पोरेशन अध्यक्ष के खिलाफ विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 142 के तहत कार्यवाही करने का अनुरोध विधि सम्मत इसलिये नहीं है क्योंकि मै0 मेकाॅन लि. कन्सलटेन्ट द्वारा केवल फिजबिलिटी रिर्पोट तैयार करने हेतु काम किया जा रहा है
यह कार्यवाही एक आन्तरिक प्रक्रिया है रिर्पोट तैयार होने पर ही पीपीपी माॅडल लागू किये जाने पर अन्तिम निर्णय लिया जाना सम्भव होगा। जिसपर अन्ततः आयोग द्वारा यह मान लिया गया था कि अभी निजीकरण की दिशा में पावर कार्पोरेशन कार्यवाही नहीं कर रहा है और जब करेगा तो पावर कार्पोरेशन आयोग को अवगत करायेगा।
अब पुनः पावर कार्पोरेशन द्वारा बिना आयोग को उत्तर दिये ही बिजली कम्पनियों में 7 सर्किल उरई, इटावा, कनौज, रायबरेली, मऊ, बलिया, सराहनपुर का निजीकरण करने हेतु समाचार पत्रों में प्रकाशित टेण्डर ’’ एकीकृत सेवा प्रदाता’’ (एन्टीग्रेटेड सर्विस प्रोवाइडर) आयोग आदेशो की अवहेलना की श्रेणी में आता है।
वहीं दूसरी ओर जिन 7 सर्किल में निजीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है उनमें से इटावा सहित अन्य जनपदों में किसानों द्वारा निजीकरण के विरोध में आन्दोलन सड़कों पर विरोध भी शुरू कर दिया गया है उसी क्रम में उत्तर प्रदेश किसान सभा द्वारा इटावा में विरोध करते हुये जिलाधिकारी के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजा गया है, उप्र किसान सभा के महा मंत्री श्री मुकुट सिंह द्वारा उपभोक्ता परिषद से विधिक कार्यवाही शुरू किये जाने का जनहित में अनुरोध भी किया गया है।