कृष्ण कुमार शर्मा
आज घर में बेहतरीन क्वालिटी का म्यूजिक सिस्टम – होम थिएटर मौजूद है जिसे वाई-फाई के जरिये यू- ट्यूब से जोड़ सकते हैं , पेन ड्राइव में संकलित अपने चुनिंदा मन पसंद पुरानी हिन्दी फिल्मों के गीत संगीत का आनंद उठा सकते हैं ! लेकिन इन सबके बाबजूद उस आनन्द की अनुभूति के आसपास भी महसूस नहीं करता हूँ जो बचपन में रेडियो में प्रसारित होने वाले विभिन्न गीत संगीत के कार्यक्रमों को सुन कर होता था ! या फिर अपने एचएमवी के पीतल के चोंगे वाले ग्रामोफोन में लाख के बने 78 आरपीएम के रिकार्ड्स को बड़े जतन से पोंछ कर लगाकर सुनने में आता था ! बीच बीच में सुई का अटक जाना भी तल्लीनता में बाधक नहीं लगता था तब !
रेडियो के बैंड्स बदल -बदल कर उसकी सुई को अलग अलग स्टेशनों में दौड़ाते फिरते थे ! यह कोशिश और श्रम हमें इनसे व्यक्तिगत रूप से जोड़ता था ! कब किस स्टेशन पर कौन सा मन पसंद गीत सुनने को मिल जायेगा ये जागरूकता हमेशा बनी रहती थी ! दूसरी तरफ आज एक छोटी सी पेन ड्राइव में बेहतर साउंड क्वालिटी में संकलित हज़ारो गीत एक तरह की एकरसता ही प्रदान करते हैं , क्योंकि एक गीत ख़त्म होते ही अहसास हो जाता है कि आगे कौन सा गीत आएगा ! इसमें कोई दो राय नहीं कि नया ज़माना हमें आज टेक्नोलॉजी में बहुत आगे ले गया है लेकिन मैं आज भी तमाम उपहासों के बाबजूद रेडियो से गीत – संगीत सुनना पसंद करता हूँ ! 30 मार्च को रेडियो सिलोन की 72 वीं जयंती थी और कहीं पत्ता भी न खड़का ! उल्लेखनीय है कि रेडियो सिलोन की हिंदी सेवा 72 साल पूर्व 30 मार्च 1951 शाम 5 बजे प्रारंभ हुई, जिसका शुभारंभ हुआ शुभेंदु दत्त की इस उद्घोषणा के साथ …
नमस्कार ! आज से हमारा हिंदी भाषा का प्रसारण चालू हुआ है ! हम अपने इस प्रसारण से आपको हिंदी फिल्मों के गाने और गैर फिल्मी रचनाएं भी सुनाएंगे ! इनके साथ में होंगे वो विज्ञापन जो आप की ज़िंदगी से जुड़े होंगे! मजेदार बात ये है कि हिंदी फ़िल्म संगीत से आरंभ हुआ था ये कार्यक्रम! पहला गाना बजा था, अँखियाँ मिलाके जिया भरमा के चले नही जाना……. फ़िल्म रतन, गायिका ज़ोहराबाई अम्बाला वाली, संगीतकार नौशाद, गीतकार डी एन मधोक !
पांच वर्ष की उम्र यानी 1960 से रेडियो सिलोन से मेरा आत्मीय रिश्ता जुड़ गया था । आज भी
रेडियो सिलोन का नाम जब सुनता हूं तो इससे जुड़ी बचपन की अनगिनत यादों का ताजमहल एक बार फिर जगमगा उठता है । मेरी ही नहीं मेरे जैसे करोड़ों लोगों के दिलों में सिनेमा और संगीत के प्रति रुचि जगाने में रेडियो सिलोन की सबसे अहम भूमिका रही है । कभी मौका मिला तो रेडियो सिलोन के सुनहरे 7 दशकों के इतिहास पर लिखकर एक बार उस युग में ले जाने की कोशिश करूंगा ।