जी के चक्रवर्ती
कांग्रेस को एकजुट करने और पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने के लिए राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की शुरूआत की यह यात्रा 150 दिनों तक चलने के दौरान देश के 12 राज्यों से होते हुए गुजरी और 3570 किलोमीटर की दूरी तय कर इस यात्रा का अंतिम पड़ाव कश्मीर में पहुंचने के बाद कांग्रेस ने “शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट” स्टेडियम में इस यात्रा के समापन के अवसर पर एक मेगा रैली का आयोजन भी किया।
यहां आपको बता दें कि इस समापन समारोह में कांग्रेस नेतृत्व ने 30 पार्टियों के बड़े नेताओं को लाल चौक पर झंडा आरोहण समारोह में आमंत्रण भेजा अवश्य था लेकिन विपक्षी दलों के कई भी नेता इस समारोहों में शामिल नहीं हुआ बल्कि द्रमुक, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, भाकपा, आरएसपी और आईयूएमएल जैसे पार्टियों के नेता ही केवल शामिल हुए थे ऊपर से श्रीनगर में भारी बर्फबारी के कारण समापन समारोह कार्यक्रम में सिर्फ झंडा फैरा कर खत्म कर दिया गया।
यहां एक बात जो ध्यान दिये जाने योग्य है कि राहुल की यह पद यात्रा दक्षिण के कर्णाटक से शुरू करने के बजाय कश्मीर से प्रारम्भ करते तो शायद और भी ज्यादा अच्छा होता।
दरअसल कांग्रेस को एकजुट करने और पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने के लिए राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की शुरू किया था क्यूंकि देश में वर्ष 2024 में होने वाले चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने मुस्लिम वोटरों को अभी से रिझाने के लिए मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र कर्णाटक से अपनी यात्रा को शुरू करने का मन बनाया लेकिन यहां आपको बताते चलें कि दक्षिण के 18 से 20 नेताओं ने पहले ही कांग्रेस का दमन छोड दिया। कर्णाटक से राहुल की इस पद यात्रा की शुरूआत हुई और 30 जनवरी 2023 के दिन कश्मीर में पहुंच कर समाप्त हो गई जबकि कश्मीर भी मुस्लिम बाहुल्य इलाक़ा है।
भारत जोड़ो यात्रा’ के समापन अवसर पर पूरे कांग्रेस नेतृत्व के अतिरिक्त, विपक्षी दलों के कई नेतागण शामिल हुए जिसमें द्रमुक, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, भाकपा, आरएसपी और आईयूएमएल के नेताओं ने भी भाग लिया।
अब यहां यह प्रश्न उठता है कि इस भारत जोड़ों यात्रा से कांग्रेस और राहुल गांधी को क्या हासिल हुआ? बल्कि इस यात्रा के समाप्त होते ही लोग तरह तरह के प्रश्न उठाने लगे कि आखिरकार इस उल्टी पद यात्रा का क्या कोई खास मकसद था? खैर यह तो राहुल गांधी ही जाने लेकिन इस यात्रा को कश्मीर से कन्या कुमारी तक की भरत जोड़ों यात्रा कहा गया लेकिन यदि कहा जाये तो इस उल्ट यात्रा की शुरुआत देश के कर्नाटक से शुरू की गई। अब यहां यह प्रश्न उठना लाजमी है कि आखिर इस यात्रा का जो उद्देश्य था क्या उस उद्देश्य की पूर्ति हुई है? खैर जो भी हो लगता है कि कांग्रेस आज तक अपनी पुरानी बातों से कोई भी सबक नहीं लिया।