भोर भयो, बिन शोर,
मन मोर, भयो विभोर,
रग-रग है रंगा, नीला भूरा श्याम सुहाना,
मनमोहक, मोर निराला।
रंग है, पर राग नहीं,
विराग का विश्वास यही,
न चाह, न वाह, न आह,
गूँजे घर-घर आज भी गान,
जिये तो मुरली के साथ
जाये तो मुरलीधर के ताज।
- आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी की एक कविता जो सोशल मीडिया पर बहुत पसंद की गयी।