बरगड़म, 14 फरवरी : गुरुकुल नवप्रभात वैदिक विद्यापीठ नुआंपाली बरगड़म ओडिशा का वार्षिक उत्सव बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर यहां सामवेद पारायण यज्ञ का भी आयोजन किया गया। जिसमें गुरुकुल के ब्रह्मचारी और ब्रह्मचारिणियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। उनके कार्यक्रमों को देखकर भारत के प्राचीन गुरुकुलों के संस्कारों का आभास स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश जी ने कहा कि गुरुकुल प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा संस्कार के केंद्र रहे हैं। जिनसे मानव निर्माण से राष्ट्र निर्माण की योजना फलीभूत होती रही है।
इस अवसर पर आर्य जगत के स्वामी आदित्यवेश ने कहा कि भारत का गौरव वेद और वैदिक व्यवस्था है। इसके कारण ही भारत ज्ञान की दीप्ति अर्थात आभा में रत रहने वाला संपूर्ण भूमंडल का पवित्रतम राष्ट्र है। इसके शिक्षा संस्कारों के माध्यम से ही संसार का कल्याण होना संभव है। उन्होंने कहा कि भारत का सनातन स्वरूप कभी न मिटने वाला है, यद्यपि इसमें अनेक प्रकार की विकृतियां आकर समाविष्ट हो गई हैं । इन विकृतियों को हमें खोज खोज कर दूर करना है और इसके सत्य सनातन स्वरूप को स्वामी दयानंद जी के दृष्टिकोण से पुनः स्थापित करने के लिए कार्य करना है।
12 फरवरी को ‘ शिक्षा,संस्कृति और राष्ट्र ‘ विषय पर आयोजित की गई संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारत में राष्ट्र की अवधारणा प्राचीन काल से ही रही है। उन्होंने कहा कि वेद और वैदिक संस्कृति में राष्ट्र को बहुत महत्व दिया गया है। वेद में अनेक स्थानों पर राष्ट्र शब्द आया है। भारत के राष्ट्र संबंधी चिंतन का सीधा अर्थ संपूर्ण वैश्विक- व्यवस्था से है। उन्होंने कहा कि सज्जन शक्ति का उद्धार और दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों का संहार करना हमारा राजधर्म रहा है और आज भी इसे राजधर्म बनाने की आवश्यकता है।
डॉ आर्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति का उद्देश्य मानवता और प्राणी मात्र का हितचिंतन करना है। अपने इसी चिंतन के कारण हमारे पूर्वजों ने दीर्घकालिक स्वाधीनता संग्राम लड़ा ।इसी व्यवस्था को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए श्री राम , श्री कृष्ण, चंद्रगुप्त ,चाणक्य , छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कार्य किया। भारत को सोते से जगाने के लिए स्वामी दयानंद जी महाराज ने हमें राष्ट्र संबंधी वैदिक चिंतन से पुनः परिचित कराया। जिसका परिणाम यह हुआ कि देश स्वाधीन हो गया। उन्होंने कहा कि आज रविदास जयंती भी है। रविदास जी ने महाराणा संग्राम सिंह का मार्गदर्शन करते हुए उन्हें भारत के चक्रवर्ती राजाओं के महासंकल्प का स्मरण कराते हुए उनसे विदेशी शत्रुओं को भारत भूमि से बाहर भगाने का संकल्प करवाया था।