शार्ट फिल्म वर्कशाप के संग भारतवर्ष नाम पर परिचर्चा
लखनऊ, 6 मार्च: ’धर्मों के ठेकेदार अपने धर्मों के बहाने स्वर्ग का लालच और नरक का भय दिखाकर कमेरे मानव समाज का धन हड़प रहे हैं और बिना परिश्रम किए सुख भोग रहे हैं।’ दलित समाज को लेकर बड़ेलाल मौर्य की किताब में दर्ज ऐसे नजरिए के अलावा डा.अम्बेडकर और अन्य विद्वानों की दृष्टि पुस्तक मेले की किताबों में सामने आती है। यह मेला रवीन्द्रालय चारबाग में रोज सुबह 11 से रात नौ बजे तक नो मार्च तक चलेगा। पुस्तक प्रेमियों को किताबों पर छूट भी मिल रही है।
मेले में कल की तरह आज सुबह भी स्कूली बच्चों की धमाचौकड़ी मची रही। बहुजन साहित्य के स्टाल पर बड़ेलाल मौर्य प्रोफेसर की धर्म के नाम पर शोषण का धंधा किताब के अलावा अन्य किताबें भी हैं। यहां राजीव पटेल व संजय की लिखी बुद्धिजीवियों का षड्यंत्र, वैदिक युग का घालमेल व भ्रम का पुलिंदा, डा.राजेन्द्र प्रसाद सिंह की बौद्ध सभ्यता की खोज, सम्राट अशोक का सही इतिहास व भाषा साहित्य और इतिहास का पुनर्पाठ जैसी विचारोत्तेजक पुस्तकें हैं।
स्टाल पर पं.रामेश्वर भट्टकृतया मनुस्मृतिः है तो भारत का संविधान भी। बौद्ध साहित्य तो मेले के अन्य स्टालों पर भी उपलब्ध है। साहित्यिक मंच पर आज गहमर गाजीपुर की पत्रिका साहित्य सरोज के संयोजन में अखण्ड प्रताप सिंह ने मोबाइल शार्ट फिल्म कार्यशाला में प्रतिभागियों को कम खर्च और सीमित संसाधनों में ढंग से मोबाइल फोन से छोटी फिल्में तैयार करने की तकनीक बतायी। इससे पहले पद्मश्री योगेश प्रवीन को समर्पित फगुआ धमाल में बीएसएनवी इंटर कॉलेज, सीएमएस इंदिरानगर व राजाजीपुरम के बच्चों ने श्लोकवाचन, हनुमान चालीसा, शिव रुद्राष्टकं संग होली गीत सुनाये। राजीव कुमार सक्सेना ने कविता पाठ किया। ओमजी मिश्रा ने इंद्रधनुष पर काव्यपाठ किया।
नम्रता मिश्रा ने गीत-गजल पेश किये तो शिक्षक अरुण कुमार निषाद ने संस्कृत काव्य वाचन में बच्चों की पाठशाला के क्रियाकलाप प्रस्तुत किये। शुभम ने भरतनाट्यम व शिव स्तुति की प्रस्तुति दी। पृथ्वी इनोवेशन के द्वारा बच्चों की कबाड़ से जुगाड, चित्र कला, पेपर क्राफ्ट के जरिए बच्चों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।कबीर ज्ञान प्रकाशन गिरिडीह एवं नमन प्रकाशन से प्रतिष्ठा शुक्ला ने बच्चों को पुस्तकें भेंट कीं। पद्मश्री डा.विद्याविंदु सिंह की अध्यक्षता में डा.सुरभि सिंह की पुस्तक उस पार किनारा है पर श्वेता शुक्ला के वाणी वंदना प्रस्तुत करने के उपरांत चर्चा चली।
अतिथियों के तौर पर उपस्थित दयानंद पांडेय व महेंद्र भीष्म के साथ पवन कुमार तिवारी, मोनिका पाठक, बलवंत सिंह और संचालन कर रही रश्मि श्रीवास्तव शफक ने विचार रखे। भारतनामा किताब पर देश का नाम भारत वर्ष पर तथ्यां और साक्ष्यों के आधार पर परिचर्चा चली। अलका प्रमोद के संचालन में इन्दु प्रकाश पाण्डेय, रवीन्द्र, रिजवाना जमाल, नवलकांत सिन्हा और डा.रवि भट्ट ने मुख्य रूप से ऋषभदेव के पुत्र का उल्लेख भारतवर्ष नाम के सम्बन्ध में किया।
लेखिका डा.प्रभाकिरण जैन ने कहा कि हमारे ऊपर कई तरह के चश्मे चढ़े हुए हैं, जिन्हें उतारकर देखने की जरूरत है। अंत में आज शाम कविता लोक के समारोह में मुक्तक भारती और दोहा भारती का विमोचन हुआ। डा.योगेश की अध्यक्षता में चली कविगोष्ठी में डा.गंगाप्रसाद शर्मा, डा.वेदप्रकाश अग्निहोत्री, महेशप्रकाश, निर्भय गुप्ता और ओम नीरव आदि ने रचनाएं पढ़ीं।
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