लखनऊ विश्वविद्यालय में चल रही दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “उद्यमिता विकास: रोजगार सृजन एवं विकास की कार्य योजना” का हुआ समापन
लखनऊ विश्वविद्यालय में चल रही दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “उद्यमिता विकास: रोजगार सृजन एवं विकास की कार्य योजना” में शुक्रवार को मुख्य अतिथि के रूप में सतीश चंद्र द्विवेदी प्राथमिक शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, मुख्य वक्ता के रूप में रहे। एजु- गोरिल्ला के संस्थापक एवं सीईओ रोहित मांगलिक एवं चेयर पर्सन के रूप में न्यायधीश डॉ डी के अरोड़ा उपस्थित रहे।
प्राथमिक शिक्षा मंत्री डाक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि उद्यमिता की अवधारणा बहुत पुरानी है एवं वास्तव में यह सिद्धांत से ज्यादा व्यवहार का विषय है। उन्होंने अमेजन के संस्थापक का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे उन्होंने व्यवसाय जगत की सफलता के सर्वोच्च को हासिल किया। उद्यमिता के माध्यम से ही आत्मनिर्भर बनने का सपना पूरा किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में कम पूंजी वाला व्यक्ति भी प्रधानमंत्री के द्वारा चलायी गयी विभिन्न स्टार्ट-अप योजनाओं के माध्यम से उद्यमी बन सकता है।
रोहित मांगलिक ने अपने चार साल के अनुभव को साझा किया और बताया कि असफलता , सफलता और विकास के लिए बहुत ही महतत्वपूर्ण है । न्यायधीश डी. के. अरोड़ा ने कहा कि उद्यमिता , समजिक और आर्थिक विकास से जुड़ा हुआ है और इन्होंने उदमिता के महत्ता पर प्रकाश डाला । संगोष्ठी के अंतिम दिन तृतीय एवं चतुर्थ तकनीकी सत्रों का आयोजन क्रमशः मालवीय एवं प्रो एस बी सिंह सभागार में हुआ।
तृतीय तकनीकी सत्र जिसका विषय बिंदु “उद्यमिता एवं क्षेत्रीय/ समुदाय विकास” था,जिसके चेयरपर्सन पूर्व विभागाध्यक्ष एवं डीन, बरकत उल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल प्रो एसके खटिक सर एवं सह चेयरपर्सन के रूप में प्रो सुधीर कुमार शुक्ला सर उपस्थित रहे। इस सत्र के संयोजक डॉ नागेंद्र मौर्य एवं सह संयोजक मिस प्रियंका मजुमदार जी थे।
चतुर्थ सत्र जिसका विषय बिंदु “ओडी ओपी के माध्यम से उद्यमिता विकास और महिला उद्यमिता” था। इस सत्र के संयोजक डॉ अनूप कुमार सिंह एवं सह संयोजक डॉ जया त्रिपाठी रही। इस सत्र के चेयरपर्सन प्रो विनय कुमार पांडेय एवं को सह चेयरपर्सन के रूप में प्रो संजय बैजल थे।
इन तकनीकी सत्रों में विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, शोधार्थियों एवं छात्रों ने प्रतिभाग किया और अग्र लिखित विषयों पर अपना शोध पत्रों को प्रस्तुत किया। सेमिनार का उद्घाटन 18 फरवरी 2021 को किया गया था। राष्ट्रगान के बाद डॉ सुनीता श्रीवास्तव के धन्यवाद प्रस्ताव के बाद संगोष्ठी का समापन किया गया।