खंड और सर्कल में दो से तीन महीने के अंदर समीक्षा के बाद अभियंताओं के निलंबन पर दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं का गुस्सा फूटा- कहा 3 महीने में डिवीजन को समझने में लगता है और उतने में प्रबंधन निलंबन कर क्या दिखाना चाहता है, 90% अभियंता हैं हतोत्साहित
लखनऊ, 2 अक्टूबर 2024: उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की प्रांतीय कार्य समिति की एक आवश्यक बैठक फील्ड हॉस्टल कार्यालय में संपन्न हुई। जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें याद करते हुए बिजली कंपनियां की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई।
बैठक में बिजली कंपनियों में अनावश्यक रूप से छोटे-छोटे मामलों में अभियंताओं के निलंबन पर दलित व पिछड़े वर्ग के संगठन पावर ऑफिसर एसोसिएशन का गुस्सा सामने आया जिसमे कहा निलंबन का औचित्य न होते हुए भी अभियंताओं का निलंबन किया जा रहा है जिससे पूरे पावर कॉरपोरेशन व बिजली निगम में अभियंताओं में काफी निराशा व्याप्त होती जा रही है
एसोसिएशन ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि छोटे-छोटे मामलों में निलंबन की कार्रवाई से ऐसा लग रहा है कि जैसे बिजली कंपनियों में भय का माहौल स्थापित किया जा रहा है सवाल या उठता है कि भय का माहौल स्थापित करने से न तो राजस्व में बढ़ोतरी होगी ना लाइन हानियां में कमी होगी न ही उपभोक्ता सेवा में सुधार होगा तो या भय का माहौल क्यों बनाया जा रहा है इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए इसके पीछे के मकसद का खुलासा होना जरूरी है।
इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, उपाध्यक्ष पीएम प्रभाकर, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, अतिरिक्त महासचिव अजय कुमार, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, मनोज कुमार, सुशील कुमार वर्मा, भजनलाल, अशोक प्रभाकर, अजय कुमार, बृजेश कुमार ने कहा बिजली कंपनियों में दो से तीन महीने पहले जो अभियंता तैनात हुए है उसे उस खंड व सर्कल में पैरामीटर पर क्या अपेक्षा पावर कॉरपोरेशन कर सकता है 2 से 3 महीने में खंड वा सर्कल को समझने में लगता है और यदि इतने छोटे कार्यकाल में उसके कार्यों की समीक्षा और निलंबन होगा तो निश्चित तौर पर इससे अभियंताओं में निराशा व्याप्त होगी और अभियंता हतोत्साहित होंगे।
संगठन की प्रांतीय कार्य समिति ने उत्तर प्रदेश सरकार से पुरजोर मांग उठाई की सरकार ऊर्जा निगम में इस बात की समीक्षा की जाय वर्तमान में 90 प्रतिशत अभियंता हतोत्साहित है जिसकी वजह से सार्थक परिणाम सामने नहीं आ रहा है इसकी जिम्मेदारी पूरी तरीके से पावर कार्पोरेशन प्रबंधन की है जब तक प्रबंधन अच्छे माहौल में कार्य का मौका अभियंताओं को नहीं देगा परिणाम की अपेक्षा करना बेमानी है और कहीं ना कहीं इससे बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बडा कुठाराघात होना तय है।