अंशुमाली रस्तोगी
जिनके पास ‘मिडिल फिंगर’ होती है वे धन्य होते हैं। चूंकि मेरे पास मिडिल फिंगर है इस नाते मैं भी धन्य हुआ। आज की पीढ़ी के लिए मिडिल फिंगर जरूरी औजार है। जहां जिस बात या व्यक्ति पर नाराजगी जतानी चाहिए तुरंत मिडिल फिंगर निकाल कर दिखा दी। एक तीर से दो निशाने आराम से सध जाते हैं। कोई बुरा माने या भला; दिखा दी तो दिखा दी। मिडिल फिंगर ही तो दिखाई है, क्या हुआ। आजकल हर वेब सीरिज में क्या-क्या नहीं दिखाया जा रहा। ये तो बेचारी मिडिल फिंगर है।
मिडिल फिंगर की लंबाई से व्यक्ति के दिल की मजबूती का पता चलता है। पता चलता है व्यक्ति अपने खिलाफ आलोचनाओं को पचाने का कितना माआदा रखता है। जिसके खिलाफ जितनी शिद्दत से मिडिल फिंगर उठेगी, उसका कद भी पब्लिक में उतना ही ऊंचा उठेगा।
आदमियों के मुकाबले जब मैं स्त्रियों को मिडिल फिंगर लहराते देखता हूं तो मेरे मान को बड़ा ‘संतोष’ मिलता है। लगता है, स्त्रियां आधुनिकता के समस्त मानकों को तोड़ आगे बढ़ रही हैं। उन्हें अपना गुस्सा जतलाना आता है। चाहे ऐसे। चाहे कैसे।
एकाध दफा तो मैं रिक्शे वाले को भी सवारियों को मिडिल फिंगर दिखाते देख चुका हूं। ‘न्यू इंडिया’ में मिडिल फिंगर के बहाने अपना गुस्सा जाहिर करने का हक कर किसी को है। हर किसी को।
मैं जब किसी वरिष्ठ लेखक या साहित्यकार से नाराज होता हूं तो उन्हें ‘मिडिल फिंगर’ ही दिखाता हूं। प्रतिउत्तर में वे कुछ नहीं दिखा पाते क्योंकि उनकी मिडिल फिंगर सिकुड़ चुकी होती है। सिकुड़ी हुई मिडिल फिंगर किसी काम की नहीं होती। इन्हें देखकर तो गली-मोहल्ले के आवारा कुत्ते भी न डरें।
जमाना मिडिल फिंगर का है। कोरोना ढाई माह से हमें मिडिल फिंगर ही तो दिखा रहा है। और हम चाहकर भी उसका खास कुछ न कर पा रहे। बल्कि पूरे विश्व को उंगली दिखा-दिखाकर जान ले रखी है इसने।
जिनके पास मिडिल फिंगर है, उनसे जरा डर कर रहिए। डरेंगे नहीं तो एक दिन उनकी फिंगर आपकी फिगर में होगी और आप पागलों की तरह सिर्फ चीखते हुए रह जाएंगे। – चिकोटी से