उपभोक्ताओं का हक: 24 घंटे बिजली या 10% रिबेट की मांग
लखनऊ, 16 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की पांचवीं मंत्री समूह बैठक को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए आलोचना की है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बैठक में फुल कॉस्ट बिजली दर लागू करने और वितरण कंपनियों के घाटे के कारण निजी निवेश कम होने की चर्चा निजी क्षेत्र के लिए मैदान तैयार करने जैसी लगती है।
परिषद का कहना है कि उत्तर प्रदेश में फुल कॉस्ट टैरिफ पहले से लागू है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली सपना बनी हुई है। कंज्यूमर राइट रूल्स के बावजूद गांवों को यह सुविधा नहीं मिली। वर्मा ने मांग की कि केंद्र और राज्य सरकार तत्काल 24 घंटे बिजली का आदेश जारी करें। यदि ऐसा न हो, तो 24 घंटे न देने पर 10% रिबेट या मुआवजा दिया जाए।
उपभोक्ता परिषद ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत सरकार से अपील की कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस (सुरप्लस) है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में भी 3,000 करोड़ का अतिरिक्त सरप्लस आने की उम्मीद है। इसलिए, सरकार को नियामक आयोग को बिजली दरों में कमी का आदेश देना चाहिए। नोएडा पावर कंपनी की तर्ज पर पांचों वितरण कंपनियों में भी दरें घटाई जाएं।
वर्मा ने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी घोषित करना चुनावी लाभ के लिए होता है, लेकिन धारा 65 के तहत सब्सिडी देना अनिवार्य है। यह उपभोक्ताओं पर एहसान नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी है, खासकर जब किसानों के उत्पादों का मूल्य सरकार तय करती है।परिषद ने चेतावनी दी कि यूपी में बिजली दरों का ऐलान कभी भी हो सकता है, इसलिए सरकार को उपभोक्ताओं के हित में तुरंत कदम उठाना चाहिए।