- प्रधानमंत्री को भेजा पत्र, विज्ञापन निरस्त करने की उठायी मांग
- आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने कहा : यह कार्यवाही संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था का खुला उल्लंघन है जो आरक्षण को समाप्त करने की दिशा में एक नई साजिश
लखनऊ, 11 जून। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति उप्र की आज एक आपात बैठक केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा संयुक्त सचिव स्तर के 10 पदों पर गैर आईएएस के लिये सीधी भर्ती से भरे जाने हेतु निकाले गये ज्ञापन के सम्बन्ध में सम्पन्न हुई, जिसमें आरक्षण समर्थकों ने केन्द्र की मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि आरक्षण को समाप्त करने की दिशा में अब केन्द्र सरकार की नई साजिश सामने आ रही है।
समिति कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसकी जरूरत क्या पड़ी और यदि सरकार को जरूरत है तो संविधान की भावनाओं के अनुकूल इन 10 पदों पर अनुसूचित जाति/जनजाति व पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण का प्राविधान क्यों नहीं किया गया? इस निर्णय के विरोध में संघर्ष समिति की ओर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को एक पत्र भेजकर इसका कड़ा विरोध किया गया है और यह मांग उठायी गयी है कि इस विज्ञापन को अविलम्ब निरस्त किया जाये और यदि सरकार संविधान के दायरे में इन पदों पर भर्ती चाहती है तो इन पदों पर आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था लागू की जाये।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उप्र के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा, केबीराम, राकेश पुष्कर, अजय कुमार, अन्जनी कुमार, प्रेम चन्द्र, अशोक सोनकर ने एक संयुक्क्त वक्तव्य में कहा कि जिस प्रकार से केन्द्र की मोदी सरकार पिछले 4 वर्षों से पदोन्नति में आरक्षण का बिल लम्बित रख दलित कार्मिकों का उत्पीड़न करा रही है। अब एक नई साजिश के तहत ऐसे लोगों को आगे बढ़ाने के लिये सीधी भर्ती का विज्ञापन निकाला गया है जो कहीं न कहीं संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन है। इससे निजी घरानों में काम करने वाले कार्मिकों को बढ़ावा मिलेगा और सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो कार्मिक आज किसी निजी घराने में काम कर रहा है जब वह सरकार के अधीन उच्च पद पर नीतिगत निर्णय वाले विभाग में बैठ जायेगा तो वह सरकार का हित कम और निजी घरानों का हित ज्यादा करेगा, क्योंकि 3 वर्ष बाद उसे फिर अपने क्षेत्र में जाना होगा, जो कन्फ्लिट आफ इन्टरेस्ट की श्रेणी में आता है।